पटेल निवास,
सूरत ।
प्रिय मित्र महेंद्र,
स्नेह !
मैं यहाँ सपरिवार कुशलता से हूँ । आशा करता हूँ कि तुम भी अपने परिवार सहित कुशलता से होंगे । तुम्हारा पत्र मिला था लेकिन जल्दी उत्तर नहीं दे पाया था क्योंकि हमारे यहाँ पर कौमी एकता दिवस मनाया जा रहा था ।
आज मैं तुम्हें भी कौमी एकता के बारे में बताता हूँ । कौमी एकता अर्थात अनेकता में एकता यही हमारे देश की पहचान है । विविधता पूर्ण देश के लिये कौमी एकता का महत्व और अधिक बढ़ जाता है ।
कौमी एकता को जीवन्तता प्रदान करने के लिये देश में कौमी एकता दिवस मनाये जाने की परम्परा प्रथम महिला प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गांधी की जयंती 19 नवम्बर से प्रारम्भ हुई ।
कौमी एकता का मतलब ये नहीं कि किसी विषय पर मतभेद नहीं हो,मतभेद हो सकता है पर मतभेद नहीं होना चाहिये । मतभेद होने के बावजूद जो देश के लिये हितप्रद हो सुखद,शान्तिमय और जनहित में लाभकारी हो उसे धर्म-सम्प्रदाय से ऊपर उठकर मान लिया जाये ऐसी भावना राष्ट्रीय एकता को कुसुमित करती है ।
कौमी एकता का मतलब ऐसी एकता जो राष्ट्रहित एंव जनहित में कभी भी विखण्डित न हो सके । कौमी एकता के लिये आवश्यक है कि किसी भी धर्म के मानने वाले हो हिन्दू मुसलमान,ईसाई अथवा अन्य धर्मालवम्बी वे स्वयं को धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत और राष्ट्रीयता का परिचय दे,जिससे देश में अपनेपन, आत्मीयता और सद्भाव में अभिवृद्धि हो सके ।
कौमी एकता की दृष्टि से हिन्दी का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है । प्राचीन काल से आज तक हिन्दी ने हिन्दू,मुसलमान सिक्ख ईसाई आदि के बीच समन्वय एवं सौहार्द का सद्भाव उत्पन्न किया है ।
कहते है संगठन ही शक्ति है भारतीय परिपेक्ष्य में कौमी एकता इसका परिचायक है । हिन्दू धर्म के अलावा बौद्ध,जैन और सिक्ख धर्म का उद्भव यही हुआ है इसके अतिरिक्त भारत में मुसलमान, ईसाई, पारसी एवं अन्य सभी धर्मों एवं सम्प्रदायों के लोग रहते है और सभी को बराबर का दर्जा प्राप्त है ।
मैं तो तुम्हें भी यही सलाह दूंगा कि तुम भी कौमी एकता का दिवस मनाओ । अब मैं पत्र समाप्त करता हूँ । शेष मिलने पर ।
तुम्हारा मित्र,
नाम : सलीम शेख,
पता : सरस्वती सदन,दरियापुर,
अहमदाबाद -380001 ।
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