जब भाई बीमार पड़ा तो माँ ने भाई का सारा खाना पीना बंद कर दिया और उसे परहेज वाला खाना देना शुरू कर दिया था। भाई बेमन से खाना खाता था। उसे देखकर बहन को अच्छा नहीं लगता था। एक दिन बहन चुपचाप माँ से छुपकर भाई को गुड़ और चना दे गई। भाई ने बड़े चाव से गुड़ चना खाया। इस तरह बहन छुप-छुपकर अपने भाई का ध्यान रखती और उसे कुछ ना कुछ उसकी पसंद का खाने को देती रहती थी। बहन ने माँ को यह बात नहीं बताई और ना ही भाई ने माँ से कभी कुछ कहा।
समय बीतता रहा। भाई अपनी बीमारी से उबर गया और ठीक हो गया। लेकिन बीमारी के समय बहन द्वारा भाई का इतना ख्याल रखे जाने वाली बात भाई के मन पर छप गई थी और बहन के स्नेह की ये बात उसे जीवन भर याद रही।
सदर्भ पाठ :
‘गुलाब सिंह’ — सुभद्रा कुमारी चौहान (कक्षा-8, पाठ-14, सरोज हिंदी पाठमाला)
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