‘भाई की मृत्यु के बाद बहन ने झंडा ले लिया।’ कहानी के इस घटनाक्रम से क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?​

बहन की मृत्यु के बाद भाई की मृत्यु के बाद बहन ने झंडा ले लिया कहानी के इस घटनाक्रम से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भाई जो काम अधूरा छोड़ गया था उसे पूरा करने की जिम्मेदारी बहन ने उठा ली थी।

‘सुभद्रा कुमारी चौहान’ द्वारा लिखित ‘गुलाब सिंह’ नामक कहानी में बहन और भाई का वर्णन मिलता है जो एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे। उनके राज्य के बादशाह ने कौमी झंडे को लेकर चलने वाला जुलूस निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन बहन और भाई विद्रोही स्वभाव के थे। उन्होंने इस प्रतिबंध को नहीं माना। भाई ने इरादा किया कि वह जुलूस का नेतृत्व करेगा और झंडा लेकर चलेगा। उसमें बहन के पैर छुए और उसके विदा ली। वह कौमी झंडा लेकर जुलूस का नेतृत्व करने लगा। लेकिन बादशाह के सिपाहियों ने उस पर गोलियां चला दी और वह गोलियां खाकर गिर पड़ा।

बहन ने जब यह सब देखा तो वह दौड़ती हुई आई। बहन को देखकर भाई के को निकलते हुए प्राणों में थोड़ी सी चेतना हुई और उसने बहन को झंडा देते हुए कहा कि बहन! अब यह झंडा तू संभाल। बहन ने भाई से झंडा ले लिया और भाई ने अपने प्राण त्याग दिए।

अब जुलूस का नेतृत्व बहन कर रही थी, जिसके हाथ में झंडा था। जब भाई की अर्थी निकली, बहन सबसे आगे झंडा लेकर चल रही थी। उसका भाई जो अधूरा काम छोड़ गया था, उसको बहन पूरा कर रही थी।

यह कहानी जबलपुर के गुलाब सिंह नामक क्रांतिकारी की है, जिसने बादशाह के जुल्म के प्रति अपने विद्रोह को प्रदर्शित किया था और अपने प्राणों की आहुति दी थी।

 

संदर्भ पाठ :

‘गुलाब सिंह’ — सुभद्रा कुमारी चौहान (कक्षा – 8, पाठ – 14, सरोज हिंदी पाठमाला)

 

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