नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए। (क) पैसा पावर है। (ख) पैसे की उस पर्चेज़िंग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है। (ग) मित्र ने सामने मनीबैग फैला दिया। (घ) पेशगी ऑर्डर कोई नहीं लेते। ऊपर दिए गए इन वाक्यों की संरचना तो हिंदी भाषा की है लेकिन वाक्यों में एकाध शब्द अंग्रेज़ी भाषा के आए हैं। इस तरह के प्रयोग को कोड मिक्सिंग कहते हैं। एक भाषा के शब्दों के साथ दूसरी भाषा के शब्दों का मेलजोल! अब तक आपने जो पाठ पढ़े उसमें से ऐसे कोई पाँच उदाहरण चुनकर लिखिए। यह भी बताइए कि आगत शब्दों की जगह उनके हिंदी पर्यायों का ही प्रयोग किया जाए तो संप्रेषणीयता पर क्या प्रभाव पड़ता है।

ऊपर दिए गए वाक्य की संरचना तो हिंदी भाषा की है लेकिन उनमें कुछ एक शब्द अंग्रेजी भाषा के प्रयोग किए गए हैं, यह शैली कोड मिक्सिंग कहलाती है। कोड मिक्सिंग भाषा का प्रयोग हिंदी की रचनाओं में बहुत अधिक होने लगा है ।इस तरह के शब्द आगत शब्द होते हैं जो कि अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषाओं से लिए गए हैं और लेखक ऐसे शब्दों का प्रयोग करके अपनी रचना में वाक्यों के वजन को बढ़ा देते हैं और इससे ना केवल उनकी वाक्य प्रभावशाली बनते हैं बल्कि उसका प्रभाव पूरी रचना पर पड़ता है। लेखकों द्वारा ऐसे शब्द का प्रयोग किया जाने का मुख्य उद्देश्य भाषा की संप्रेषणीयता को बनाए रहना है।

अलग-अलग पाठों में पढ़े गए कुछ पांच वाक्य इस प्रकार हैं…

  • यह तुम ‘पैसे की गर्मी’ मत दिखाओ, ज्यादा ‘पैसे की गर्मी’ अच्छी नहीं होती।
  • समीर आजकल बहुत अधिक ‘ख्याली पुलाव’ पकाने लगा है।
  • इस फ्लैट का दाम पूरे एक ‘खोका’ है।
  • आई टी के क्षेत्र में भारत की ‘सॉफ्ट पॉवर’ का लोहा सबने मान लिया है।
  • भारत के लोगों की ‘परचेसिंग पॉवर’ बढ़ रही है।

पाठ के बारे में…

यह पाठ जैनेंद्र कुमार द्वारा लिखित एक निबंध है, जिसमें उन्होंने बाजारवाद और उपभोक्तावाद की विवेचना की है। इस निबंध के माध्यम से उनकी गहरी वैचारिकता और सहायक सुलभ लालित्य का प्रभाव देखने को मिलता है। उपभोक्तावाद एवं बाजारवाद पर पर व्यापक चर्चा के परिप्रेक्ष्य में यह पाठ एक महत्वपूर्ण निबंध है। कई दशक पहले लिखा गया जैनेंद्र कुमार का यह निबंध आज भी अपने लिए बाजारवाद एवं उपभोक्तावाद के संदर्भ में पूरी तरह प्रासंगिक है और बाजारवाद की मूल अंतर्वस्तु को समझने के मामले में बेजोड़ है।जैनेंद्र कुमार हिंदी साहित्य के जाने-माने साहित्यकार रहे हैं, जिन्होंने अनेक कहानियां एवं निबंधों की रचना की। उनका जन्म 1905 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ था।

उनकी प्रमुख रचनाओं में अनाम, परख, स्वामी, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी, एक रात, दो चिड़िया, फांसी, नीलम देश की राजकन्या, प्रस्तुत प्रश्न, जड़ की बात, पूर्वोदय, साहित्य का श्रेय और प्रेय, सोच-विचार, समय और हम, मुक्तिबोध नामक उपन्यास तथा पाजेब नामक कहानी संग्रह हैं।
उन्हें साहित्य अकादमी तथा भारत भारती पुरस्कार जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें भारत सरकार द्वारा द्वारा पद्म भूषण सम्मान भी मिल चुका है। उनका निधन सन 1990 में हुआ।

संदर्भ पाठ :

बाजार दर्शन, लेखक : जैनेंद्र कुमार ( कक्षा – 12, पाठ – 12, हिंदी स्पर्श 2)

 

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पाठ के अन्य प्रश्न

पाठ में अनेक वाक्य ऐसे हैं, जहाँ लेखक अपनी बात कहता है कुछ वाक्य ऐसे हैं जहाँ वह पाठक-वर्ग को संबोधित करता है। सीधे तौर पर पाठक को संबोधित करने वाले पाँच वाक्यों को छाँटिए और सोचिए कि ऐसे संबोधन पाठक से रचना पढ़वा लेने में मददगार होते हैं?

विभिन्न परिस्थितियों में भाषा का प्रयोग भी अपना रूप बदलता रहता है कभी औपचारिक रूप में आती है, तो कभी अनौपचारिक रूप में। पाठ में से दोनों प्रकार के तीन-तीन उदाहरण छाँटकर लिखिए।

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