अपने सामान की बिक्री को बढ़ाने के लिए आज किन-किन तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है? उदाहरण सहित उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए। आप स्वयं किस तकनीक या तौर-तरीके का प्रयोग करना चाहेंगे जिससे बिक्री भी अच्छी हो और उपभोक्ता गुमराह भी न हो।

उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए अपने सामान की बिक्री को बढ़ाने के लिए आज के विज्ञापन युग में अनेक तरह के तरीकों का प्रयोग किया जाता रहा है।

उत्पादक और व्यापारी अपना उत्पाद बेचने के लिए अनेक तरह के सेलिंग एजेंट को रखते हैं जो कि घर घर जाकर सामान का प्रचार करते हैं और उपभोक्ता को वस्तु खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं।
विभिन्न तरह के मीडिया संस्थानों जैसे रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट एवं समाचारपत्र तथा पत्रिकाएं आदि के माध्यम से उत्पादक अपने उत्पाद का भरपूर प्रचार करते हैं।

अपने उत्पाद के प्रचार के लिए उत्पादक जगह जगह पर पोस्टर और होर्डिंग लगवा कर अपने उत्पाद का प्रचार करते हैं।

अपने उत्पाद का प्रचार करने के लिए उत्पादक पर्चे और पैम्फलेट बंटवाते हैं।
उत्पाद का प्रचार करने के लिए कभी-कभी बड़ी-बड़ी छूट देने वाली सेल लगाते हैं और उपभोक्ताओं को आकर्षित करते हैं।

अलग-अलग त्योहारों पर उत्पादक तरह के छूट वाले ऑफर लाकर उपभोक्ताओं को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं।इस तरह के विज्ञापन के यह कई तरह के तरीके हैं। कुछ तरीके सही हो सकते हैं तो कुछ गलत हो सकते हैं।

हमारी दृष्टि में हम ऐसा तरीका अपनाना चाहेंगे जो उपभोक्ता को उत्पाद के संबंध में किसी भी तरह से गुमराह ना करें और हमारे उत्पाद का जो गुण है, वही हम उसको बताएं। हम अपने उत्पाद को बढ़ा चढ़ाकर पेश ना करें। उपभोक्ता के साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी ना करें और अपने उत्पाद का सही मूल्य रखें।

पाठ के बारे में…

यह पाठ जैनेंद्र कुमार द्वारा लिखित एक निबंध है, जिसमें उन्होंने बाजारवाद और उपभोक्तावाद की विवेचना की है। इस निबंध के माध्यम से उनकी गहरी वैचारिकता और सहायक सुलभ लालित्य का प्रभाव देखने को मिलता है। उपभोक्तावाद एवं बाजारवाद पर पर व्यापक चर्चा के परिप्रेक्ष्य में यह पाठ एक महत्वपूर्ण निबंध है। कई दशक पहले लिखा गया जैनेंद्र कुमार का यह निबंध आज भी अपने लिए बाजारवाद एवं उपभोक्तावाद के संदर्भ में पूरी तरह प्रासंगिक है और बाजारवाद की मूल अंतर्वस्तु को समझने के मामले में बेजोड़ है।जैनेंद्र कुमार हिंदी साहित्य के जाने-माने साहित्यकार रहे हैं, जिन्होंने अनेक कहानियां एवं निबंधों की रचना की। उनका जन्म 1905 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ था।

उनकी प्रमुख रचनाओं में अनाम, परख, स्वामी, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी, एक रात, दो चिड़िया, फांसी, नीलम देश की राजकन्या, प्रस्तुत प्रश्न, जड़ की बात, पूर्वोदय, साहित्य का श्रेय और प्रेय, सोच-विचार, समय और हम, मुक्तिबोध नामक उपन्यास तथा पाजेब नामक कहानी संग्रह हैं।

उन्हें साहित्य अकादमी तथा भारत भारती पुरस्कार जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें भारत सरकार द्वारा द्वारा पद्म भूषण सम्मान भी मिल चुका है। उनका निधन सन 1990 में हुआ।

संदर्भ पाठ :

बाजार दर्शन, लेखक : जैनेंद्र कुमार ( कक्षा – 12, पाठ – 12, हिंदी स्पर्श 2)

 

 

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पाठ के अन्य प्रश्न

आपने समाचारपत्रों, टी.वी. आदि पर अनेक प्रकार के विज्ञापन देखे होंगे जिनमें ग्राहकों को हर तरीके से लुभाने का प्रयास किया जाता है। नीचे लिखे बिन्दुओं के सन्दर्भ में किसी एक विज्ञापन की समीक्षा कीजिए और यह भी लिखिए कि आपको विज्ञापन की किस बात ने सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया – 1. विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु 2. विज्ञापन में आए पात्र व उनका औचित्य 3. विज्ञापन की भाषा।

प्रेमचंद की कहानी ईदगाह के हामिद और उसके दोस्तों का बाज़ार से क्या संबंध बनता है? विचार करें।

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