बाज़ार दर्शन पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते/मानती हैं?

बाजार की विभिन्न संस्कृतियों से हम परिचित रहे हैं और हमने सभी तरह के बाजार देखे हैं। सभी तरह के बाजारों को देखकर हमने पाया है कि मॉल की संस्कृति वाले बाजार उच्च एवं धनी वर्ग के लोगों के लिए होते हैं। मॉल आदि में जो वस्तुएं मिलती हैं, वह ब्रांडेड होती है और बेहद अधिक कीमत वाली होती है। इन्हें केवल उच्च एवं धनी वर्ग के लोग ही खरीद सकते हैं। जो वस्तु किसी सामान्य बाजार में  ₹100 में मिलती है, वही वस्तु मॉल में टैग एवं ब्रांड नेम के साथ ₹1000 में मिलती है। इस तरह मॉल संस्कृति वाले बाजार एवं 3 वर्ग के लोगों के लिए होते हैं सामान्य लोगों की क्रय शक्ति  मॉल में जाकर खरीदने की नहीं होती।

सामान्य बाजार सामान्यतः हर वर्ग के लोगों के लिए होते हैं, लेकिन इनमें अधिकतर मध्यम वर्ग के लोग तथा निम्न वर्ग के लोग खरीदारी करते हैं। सामान्य बाजार में वे ही लोग खरीदारी करने जाते हैं, जिन्हें उस वस्तु की आवश्यकता है। वे दुकानदार द्वारा मांगे गए  मुँहमांगे दाम पर बल्कि वस्तु की खरीदारी करते हैं। सामान्य बाजार में वस्तु बहुत अधिक कीमत पर नहीं मिलती और सामान्य व्यक्ति के क्रय शक्ति की सीमा में होती है।

हाट बाजार साप्ताहिक बाजार होते हैं जो गाँव ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले बाजार होते हैं, यह सप्ताह में एक बार लगते है। इसमें ग्रामीण लोग खरीदारी करते हैं और वहीं ग्रामीण आते हैं जिन्हें अपने पूरे सप्ताह के लिए वस्तुओं की आवश्यकता होती है। यहाँ पर भी उचित मोलभाव द्वारा वस्तुओं की खरीदारी की जाती है।

पाठ के बारे में…

यह पाठ जैनेंद्र कुमार द्वारा लिखित एक निबंध है, जिसमें उन्होंने बाजारवाद और उपभोक्तावाद की विवेचना की है। इस निबंध के माध्यम से उनकी गहरी वैचारिकता और सहायक सुलभ लालित्य का प्रभाव देखने को मिलता है। उपभोक्तावाद एवं बाजारवाद पर पर व्यापक चर्चा के परिप्रेक्ष्य में यह पाठ एक महत्वपूर्ण निबंध है। कई दशक पहले लिखा गया जैनेंद्र कुमार का यह निबंध आज भी अपने लिए बाजारवाद एवं उपभोक्तावाद के संदर्भ में पूरी तरह प्रासंगिक है और बाजारवाद की मूल अंतर्वस्तु को समझने के मामले में बेजोड़ है।जैनेंद्र कुमार हिंदी साहित्य के जाने-माने साहित्यकार रहे हैं, जिन्होंने अनेक कहानियां एवं निबंधों की रचना की। उनका जन्म 1905 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ था।

उनकी प्रमुख रचनाओं में अनाम, परख, स्वामी, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी, एक रात, दो चिड़िया, फांसी, नीलम देश की राजकन्या, प्रस्तुत प्रश्न, जड़ की बात, पूर्वोदय, साहित्य का श्रेय और प्रेय, सोच-विचार, समय और हम, मुक्तिबोध नामक उपन्यास तथा पाजेब नामक कहानी संग्रह हैं।

उन्हें साहित्य अकादमी तथा भारत भारती पुरस्कार जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें भारत सरकार द्वारा द्वारा पद्म भूषण सम्मान भी मिल चुका है। उनका निधन सन 1990 में हुआ।

संदर्भ पाठ :

बाजार दर्शन, लेखक : जैनेंद्र कुमार ( कक्षा – 12, पाठ – 12, हिंदी स्पर्श 2)

 

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पाठ के अन्य प्रश्न

बाज़ार दर्शन पाठ में बाज़ार जाने या न जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का ज़िक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए। (क) मन खाली हो (ख) मन खाली न हो (ग) मन बंद हो (घ) मन में नकार हो

आप अपने तथा समाज से कुछ ऐसे प्रसंग का उल्लेख करें- (क) जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ। (ख) जब पैसे की शक्ति काम नहीं आई।

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