‘बाज़ारूपन’ से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाज़ार की सार्थकता किसमें है?

बाजारुपन से तात्पर्य दिखावे एवं प्रदर्शन के लिए की जाने वाली खरीदारी से है। बाजारुपन वह आदत है, जिसमें व्यक्ति दिखावे के लिए खरीदा है। वह अपने पैसे के प्रदर्शन के लिए अनावश्यक वस्तुओं की खरीदारी करता जाता है, यही बाजारुपन है।

सामान्यता व्यक्ति बाजार में कोई वस्तु तब ही खरीदा है, जब उसे उस वक्त वस्तु की आवश्यकता होती है, लेकिन जब व्यक्ति पर बाजारवाद का प्रभाव पड़ जाता है तो वह उसके अंदर एक गलत आदत विकसित हो जाती है और वह पैसे होने पर अनावश्यक वस्तुओं भी खरीदता जाता है, उसकी यही आदत बन जाती है।

बाजार की सार्थकता तब होती है, जब व्यक्ति केवल वही वस्तुएं जिसकी उसे आवश्यकता है वह अपने धन को अनावश्यक वस्तुओं की खरीदारी में व्यर्थ ना करें। वह बाजारूपन वाली आदत को अपनाने से बचे।

पाठ के बारे में…

यह पाठ जैनेंद्र कुमार द्वारा लिखित एक निबंध है, जिसमें उन्होंने बाजारवाद और उपभोक्तावाद की विवेचना की है। इस निबंध के माध्यम से उनकी गहरी वैचारिकता और सहायक सुलभ लालित्य का प्रभाव देखने को मिलता है। उपभोक्तावाद एवं बाजारवाद पर पर व्यापक चर्चा के परिप्रेक्ष्य में यह पाठ एक महत्वपूर्ण निबंध है। कई दशक पहले लिखा गया जैनेंद्र कुमार का यह निबंध आज भी अपने लिए बाजारवाद एवं उपभोक्तावाद के संदर्भ में पूरी तरह प्रासंगिक है और बाजारवाद की मूल अंतर्वस्तु को समझने के मामले में बेजोड़ है।जैनेंद्र कुमार हिंदी साहित्य के जाने-माने साहित्यकार रहे हैं, जिन्होंने अनेक कहानियां एवं निबंधों की रचना की। उनका जन्म 1905 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ था।

उनकी प्रमुख रचनाओं में अनाम, परख, स्वामी, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी, एक रात, दो चिड़िया, फांसी, नीलम देश की राजकन्या, प्रस्तुत प्रश्न, जड़ की बात, पूर्वोदय, साहित्य का श्रेय और प्रेय, सोच-विचार, समय और हम, मुक्तिबोध नामक उपन्यास तथा पाजेब नामक कहानी संग्रह हैं।

उन्हें साहित्य अकादमी तथा भारत भारती पुरस्कार जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें भारत सरकार द्वारा द्वारा पद्म भूषण सम्मान भी मिल चुका है। उनका निधन सन 1990 में हुआ।

संदर्भ पाठ :

बाजार दर्शन, लेखक : जैनेंद्र कुमार ( कक्षा – 12, पाठ – 12, हिंदी स्पर्श 2)

 

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पाठ के अन्य प्रश्न

बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है?

बाज़ार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नज़र में उनका आचरण समाज में शांति-स्थापित करने में मददगार हो सकता है?

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