जो जिया ना आपके लिए’ “पंक्ति” का भाव क्या है? (क) पर को पीड़ा के लिए (ख) परोपकार के लिए (ग) अपने स्वार्थ के लिए (घ) केवल अपने वाह अपने परिवार के लिए.

‘जो जिया ना आपके लिए’ इस पंक्ति का भाव के लिए

सही विकल्प होगा…
(ख) परोपकार के लिए विस्तार से समझें…

‘जो जिया ना आपके लिए’ इस पंक्ति का भाव यही होगा कि जो परोपकार का कार्य नहीं करता। जो दूसरों के लिए नहीं जीता, जिसने परोपकार का कोई कार्य नहीं किया हो। जो कभी दूसरों के काम नहीं आया हो, जिसने दूसरे के दुख को अपना दुख नहीं समझा हो, जिसने पर पीड़ा में अपनी पीड़ा नहीं महसूस की हो, ऐसा व्यक्ति कभी दूसरों के लिए नहीं जीता।

वो केवल अपने स्वार्थ के लिए जीता है। उसे केवल अपने स्वार्थ की चिंता होती है, उसे दूसरों के दुख दर्द से कोई मतलब नहीं होता। ऐसा व्यक्ति परोपकार का कोई कार्य भी नहीं करते। वो केवल वही कार्य करते हैं, जहाँ पर उनके स्वार्थ की सिद्धि होती हो।

 

Partner website…

miniwebsansar.com

 

ये भी देखें…

भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?

मैंने तुम्हें मार कर धर्म की रक्षा की है इसका क्या भाव या आशय है सविस्तार स्पष्ट कीजिए​।

बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता​ ?

सर्वधर्म समभाव पर अपने विचार लिखिए।

धरती स्वर्ग समान’ कविता में कवि ने धरती को स्वर्ग बनाने की संभावनाओं के प्रति आशावादी दृष्टिकोन अपनाया है। – स्पष्ट कीजिए।

Leave a Comment