अतिथि के प्रति लेखक द्वारा किया गया व्यंग्य के संदर्भ में अगर हम अपने विचार व्यक्त करें तो यह व्यंग्य उचित और अनुचित दोनों तरह का हो सकता है।
उचित तर्क : अतिथि के संबंध में अगर लेखक ने व्यंग्य किया तो वह उचित इस दृष्टि से हो सकता है कि लेखक महानगरीय जीवन में रहने वाला व्यक्ति था, जहाँ पर जगह की बेहद कमी होती है। लोगों की जीवन शैली भी बेहद व्यस्त होती है। महानगर के महंगे खर्चों को उठाने के लिए वहाँ घर के लगभग सभी सदस्यों को काम करना पड़ता है। इस कारण महानगरीय लोगों की जीवन शैली बेहद व्यस्त हो जाती है। ऐसे समय में उन लोगों के पास अतिथि का स्वागत सत्कार करने के लिए ना तो सही जगह होती है और ना ही पर्याप्त समय होता है। कोई भी अतिथि आए उसे महानगरीय जीवनशैली के लोगों की विवशता को समझना चाहिए और फटाफट अपना कार्य करके चले जाना चाहिए। यदि अतिथि अधिकतर दिन ठहर जाता है तो यह मेजबान के लिए कष्टदायक स्थिति बन जाती है। इसी कारण लेखक की परिस्थिति को देखते हुए लेखक द्वारा अतिथि पर किया गया व्यंग्य उचित था।
अनुचित : लेखक द्वारा दिया गया बयान अनुचित इस संदर्भ में हो सकता है कि हमारी भारतीय परंपरा ‘अतिथि देवो भवः’ वाली रही है। अदिति चाहे कैसा भी हो मेजबान को कितनी भी असुविधा हो लेकिन वह अतिथि का स्वागत करने के अपने संस्कार नही छोड़ता। लेखक को भी उसी भारतीय परंपरा का पालन करना चाहिए था। यदि अतिथि कुछ दिन अधिक ठहर गया तो लेखक को परिस्थिति को वहन कर लेना चाहिए था और अतिथि का यथोचित सम्मान करना चाहिए था। बहुत से अतिथि किसी कारणवश अधिक दिन तक ठहर जाते हैं। लेखक को अपने महानगरीय जीवन की दिनचर्या इस तरह बनानी चाहिए कि यदि किसी कारणवश कोई अनचाहा अतिथि आ जाए अथवा कोई अतिथि अधिक दिन तक शहर जाए तो भी किसी तरह सामंजस्य बिठाया जा सके। यदि लेखक पहले से अपनी स्वयं को मानसिक रूप से इस तरह तैयार रखेगा तो उसे असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
Partner website…
ये भी देखें…
‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में ‘गगरी फूटी की फूटी रह जाती है’ से क्या अभिप्राय है?
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?
‘कामचोर’ पाठ के आधार पर बताइए कि माताओं का हृदय बच्चों की किन क्रियाओं से प्रसन्न हो जाता है?
‘कुटज’ पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि ‘दुख और सुख तो मन के विकल्प हैं।’