इस तरह की भाषा आजकल बहुत प्रचलन में हो रही हैत इससे भाषाओं के मूल स्वरूप बिगड़ते जा रहे हैं और अन्य भाषाओं के शब्दों को खिचड़ी की तरह प्रयोग किया जा रहा है।
इस तरह की शब्दावली भाषा के मूल स्वरूप को बिगाड़ देती है और एक अच्छी खासी समृद्ध भाषा खत्म होने के कगार पर पहुंच जाती है।
ऊपर प्रश्न में जो तीन वाक्य दिए गए हैं, उनमें पहले वाक्य में में तकनीकी शब्दावली का प्रयोग किया गया है, जिसमें अंग्रेजी तकनीकी शब्दों का प्रयोग किया गया है।
दूसरे भाग में हिंग्लिश भाषा का प्रयोग किया गया है। हिंग्लिश भाषा भाषा है, जो अंग्रेजी और हिंदी के मिश्रण से बनी है।
तीसरी भाषा मुंबइया शैली की टपोरी भाषा है, जो मुंबई में अक्सर द्वारा बोली जाती है।
पाठ के बारे में…
यह पाठ महादेवी वर्मा द्वारा लिखा गया एक संस्मरण चित्र है। यह संस्करण चित्र उनकी ‘स्मृति की रेखाएं’ नामक कलाकृति में संकलित है। इस संस्मरण चित्र के माध्यम से महादेवी वर्मा ने अपनी एक सेविका भक्तिन का रेखाचित्र खींचा है और उसके अतीत और वर्तमान का परिचय देते हुए उसके व्यक्तित्व का दिलचस्प व्यक्तित्व का वर्णन किया है।महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की जानी-मानी लेखिका एवं कवयित्री रही हैं। वह छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनका जन्म 1960 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में हुआ था। उनकी प्रमुख कलाकृतियों में दीपशिखा, श्रृंखला की कड़ियां, आपदा, संकल्पिता, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, मेरा परिवार, यामा आदि के नाम प्रमुख हैं।
उन्हें भारत का प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरुस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संस्थान का भारत भारती पुरस्कार तथा भारत सरकार का पद्मभूषण पुरस्कार (1956) में मिल चुका है। उनका निधन 1987 में इलाहाबाद में हुआ।
संदर्भ पाठ :
भक्तिन, लेखिका : महादेवी वर्मा (कक्षा-12, पाठ-11, हिंदी, आरोह भाग 2)
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