पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियाँ में सिर्फ़ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।

मात्र 5 वर्ष की आयु में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन ही नहीं बल्कि हमारे समाज में ऐसी अनेक बालिकाएं हैं, जिनका कम उम्र में विवाह कर दिया जाता है और फिर उनका जीवन नर्क बन कर रह जाता है।

हमारे देश भारत के कुछ राज्यों में बाल विवाह की प्रथा बेहद आम है। जहाँ अब भी बाल विवाह की प्रथा प्रचलित है, जबकि इस प्रथा के विरुद्ध सरकारी कानून बन चुका है। राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में बाल विवाह की प्रथा अभी भी गाँव आदि में प्रचलित है। विशेषकर राजस्थान में बाल विवाह की प्रथा गाँव राजस्थान के गाँव में अभी भी प्रचलित है और छोटी-छोटी बालिकाओं का बेहद कम आयु में ही विवाह कर दिया जाता है और फिर शीघ्र ही उनका विवाह कर दिया जाता है, जिससे उनका पूरा जीवन ही नारकीय बन जाता है।

बेहद आयु में विवाह कर दिए जाने के कारण ना तो उनका पूरी तरह शारीरिक विकास हो पाता है और कम उम्र में माँ बन जाने के कारण उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता।

सरकार द्वारा बाल विवाह को रोकने के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं और काफी हद तक इस कुरीति पर रोक भी लगी है, लेकिन अभी भी गुपचुप तरीके से यह कुरीति जारी है। जब तक यह कुरीति पूरी तरह समाप्त नहीं होगी तब तक समाज में बालिकाओं का सही रूप से कल्याण नहीं हो पाएगा।

पाठ के बारे में…

यह पाठ महादेवी वर्मा द्वारा लिखा गया एक संस्मरण चित्र है। यह संस्करण चित्र उनकी ‘स्मृति की रेखाएं’ नामक कलाकृति में संकलित है। इस संस्मरण चित्र के माध्यम से महादेवी वर्मा ने अपनी एक सेविका भक्तिन का रेखाचित्र खींचा है और उसके अतीत और वर्तमान का परिचय देते हुए उसके व्यक्तित्व का दिलचस्प व्यक्तित्व का वर्णन किया है।महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की जानी-मानी लेखिका एवं कवयित्री रही हैं। वह छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनका जन्म 1960 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में हुआ था। उनकी प्रमुख कलाकृतियों में दीपशिखा, श्रृंखला की कड़ियां, आपदा, संकल्पिता, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, मेरा परिवार, यामा आदि के नाम प्रमुख हैं।

उन्हें भारत का प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरुस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संस्थान का भारत भारती पुरस्कार तथा भारत सरकार का पद्मभूषण पुरस्कार (1956) में मिल चुका है। उनका निधन 1987 में इलाहाबाद में हुआ।

संदर्भ पाठ :

भक्तिन, लेखिका : महादेवी वर्मा (कक्षा-12, पाठ-11, हिंदी, आरोह भाग 2)

 

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पाठ के अन्य प्रश्न

भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। अखबारों या टी.वी. समाचारों में आनेवाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।

आलो आँधारि की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?

भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई ?

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