‘भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं’ ऐसा लेखिका ने इसलिए कहा क्योंकि जब भक्तिन लेखिका के पास आई, तब शुरू-शुरू में तो उसका व्यवहार एवं आचरण ठीक था। लेकिन बाद में धीरे-धीरे लेखिका को उसके दुर्गुणों का पता चलता गया, इसी कारण लेखिका ने ऐसा कहा। भक्तिन में जहाँ कई गुण थे तो उसमें अनेक दुर्गुण भी थे।जहाँ उसमें कर्तव्य परायणता और सेवा भावना जैसे गुण थे तो वही उसके अंदर अनेक दुर्गुण भी थे।
वह घर में पड़े हुए पैसे बिना पूछे अपने पास रख लेती थी। उसे अच्छी तरह से खाना बनाना भी नही आता था। वह सब लोगों के साथ समान व्यवहार नहीं करती थी और लेखिका की हाँ में हाँ ही मिलती थी। जो लोग लेखिका को पसंद नहीं आते थे वह भक्तिन भी उनसे ढंग से नहीं करती थी।
उससे कोई गलती हो जाती तो भी वह अपनी गलती को स्वीकारती नहीं और अपनी गलती को सही सिद्ध करने के लिए तमाम तरह की बहस करती थी। घर का काम भी वो अपनी सुविधा के अनुसार करती थी। इस तरह के दुर्गुणों से परिचित होने पर लेखिका ने ऐसा कहा कि वह अच्छी है, लेकिन यह कहना कठिन होगा कि उसमें दुर्गुणों का अभाव नही है।
पाठ के बारे में…
यह पाठ महादेवी वर्मा द्वारा लिखा गया एक संस्मरण चित्र है। यह संस्करण चित्र उनकी ‘स्मृति की रेखाएं’ नामक कलाकृति में संकलित है। इस संस्मरण चित्र के माध्यम से महादेवी वर्मा ने अपनी एक सेविका भक्तिन का रेखाचित्र खींचा है और उसके अतीत और वर्तमान का परिचय देते हुए उसके व्यक्तित्व का दिलचस्प व्यक्तित्व का वर्णन किया है।महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की जानी-मानी लेखिका एवं कवयित्री रही हैं। वह छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनका जन्म 1960 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में हुआ था। उनकी प्रमुख कलाकृतियों में दीपशिखा, श्रृंखला की कड़ियां, आपदा, संकल्पिता, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, मेरा परिवार, यामा आदि के नाम प्रमुख हैं।
उन्हें भारत का प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरुस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संस्थान का भारत भारती पुरस्कार तथा भारत सरकार का पद्मभूषण पुरस्कार (1956) में मिल चुका है। उनका निधन 1987 में इलाहाबाद में हुआ।
संदर्भ पाठ :
भक्तिन, लेखिका : महादेवी वर्मा (कक्षा-12, पाठ-11, हिंदी, आरोह भाग 2)
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