कवि ऐसा वसंत चाहता है, जिसमें सबको भोजन मिले, सबको पहनने को पर्याप्त वस्त्र मिलें, सबको रहने को आवास मिले। कवि ऐसा वसंत चाहता है, जिन से सबके जीवन में सुख हो, आनंद हो, हर चेहरे पर मुस्कान हो। हर व्यक्ति की आँखों में खुशी की चमक हो।
कवि ऐसा वसंत चाहता है, जो सबके जीवन में सुख लाए, आनंद लाए। कवि सबके जीवन में ऐसा वसंत चाहता है कि कोई भी ऋतु हो चाहे ग्रीष्म ऋतु हो शरद ऋतु हो, हेमंत ऋतु हो, शिशिर ऋतु हो अथवा वर्षा ऋतु। किसी भी ऋतु में कोई भी दुख ना हो, कष्ट ना हो और चारों तरफ सुख ही सुख हो। कवि ऐसा सुखी वसंत चाहता है।
‘ऐसा वसंत कब आएगा?’ कविता जो कि ‘जगन्नाथप्रसाद मिलिंद’ द्वारा लिखी गई है, उसकी कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं…
सबको दे भोजन वसन, भवन,
जिससे जीवन में रस छाए,
खिल जाए अधर, हँस दे आँखें,
ऐसा वसंत जग में आए,
ऐसा वसंत तो ग्रीष्म शिशिर में
में भी वसंत कहलाएगा,
ऐसा वसंत कब आएगा?
इन पंक्तियों के माध्यम से कवि सबके जीवन में सुख चाहता है। वह चाहता है कि सबको पर्याप्त भोजन मिले, सबको पहनने को पर्याप्त वस्त्र मिलें, सबके लिए रहने को घर हो, उनके जीवन में आनंद हो, हर्ष हो, आँखों में खुशी की चमक हो, यदि ऐसा बसंत सबके जीवन में आ जाएगा तो किसी भी तरह की ऋतु का कोई कष्ट भी किसी व्यक्ति को नहीं होगा।
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