अगर पाठशाला ऑनलाइन होता तो हमारा जीवन आज से बिल्कुल अलग होता। अगर पाठशाला ऑनलाइन होता तो हम अपने घर अथवा एक कमरे तक ही सिमट कर रह जाते। हमें रोज विद्यालय जाने के लिए तैयार नहीं होना पड़ता।
अगर पाठशाला ऑनलाइन होता तो हमें सुबह जल्दी उठने की जरूरत नहीं होती। क्योंकि विद्यालय जाने के लिए तैयार आदि होने के लिए एक-दो घंटे पहले उठना पड़ता है।
अगर पाठशाला ऑनलाइन होता तो हो सकता है हम ऑनलाइन क्लास से शुरू होने से 15 मिनट पहले ही होते और फटाफट हाथ धोकर ऑनलाइन क्लास अटेंड करने बैठ जाते। इस तरह हमारे जीवन अनुशासन ही हो जाता।
पाठशाला ऑनलाइन होने से हमें मैदान में खेलने कूदने का अनुभव नहीं मिल पाता। ना ही हमें बाहर जाने का अनुभव मिल पाता।
पाठशाला ऑनलाइन होने से हमें हर समय मोबाइल अथवा कम्प्यूटर स्क्रीन के माध्यम से ही पढ़ाई करनी पड़ती, इससे हमारी आँखों पर दुष्प्रभाव पड़ता।
ऑनलाइन पाठशाला होने से हमें व्यवहारिक जीवन का अनुभव नहीं मिल पाता और हम एक वर्चुअल दुनिया में ही सिमट कर रह जाते। इसलिए पाठशाला ऑनलाइन होना बहुत अच्छा अनुभव नहीं होता क्योंकि जीवन में शारीरिक गतिविधि और व्यवहारिक गतिविधि का भी अलग होता है जो कि नियमित रूप से घर से बाहर जाने अभी से ही अनुभव हो पाती हैं। ऑनलाइन पाठशाला होने से हमें यह सब अनुभव नहीं हो पाते।
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