अहमदाबाद,
गुजरात,
प्रिय प्रांजली व्यास,
स्नेह !
मैं यहाँ अपने परिवार सहित कुशलता से हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी अपने स्थान पर कुशलता से होंगे । आज तुम्हें पत्र लिखने का खास कारण है । तुम्हें तो पता ही है कि उत्तर प्रदेश जिले से सटे गांव में बाढ़ से बहुत अधिक क्षति हुई है ।
इस गांव के आस पास यद्यपि कोई नदी नाला नहीं है, जिससे किसी प्रकार की बाढ़ का खतरा बना रहे तथापि पिछले दिनों अतिवृष्टि से यहाँ बाढ़ की सी स्थिति उत्पन्न हो गई है । कई दिनों की लगातार मूसलाधार वर्षा से यहाँ के अधिकांश कच्चे मकान ढह गए हैं और घास फूंस की झोपड़ियां बैठ गई हैं । अधकच्चे मकानों की छतें बैठ गई है, और पशु उनमें दबकर मर गए हैं । आस पास के खेतों का सत्यानाश हो गया है ।
गाँव की कच्ची गलियों में अब भी कहीं-कहीं घुटनों तक पानी भरा हुआ है । इस बाढ़ से किसान परेशान हो चुके हैं । वे विवश होकर घरों में पड़े हाथ मल रहे हैं । चौपाल तक जाने की भी उनकी हिम्मत नहीं हो रही है । कई दिनों के भूखे प्यासे जानवर प्राण त्याग रहे हैं । प्रतिदिन की मजदूरी से पेट भरने वाले मजदूरों का भी बुरा हाल है, उनको जान के लाले पड़े हुए हैं ।
दो तीन दिनों के लिए संग्रह किया हुआ उनका राशन समाप्त हो चुका है और उनके बच्चे भूख से बिलख रहे हैं । सारा गांव अस्त व्यस्त है और एक झील सा दिखाई देता है । पानी के निकास की व्यवस्था न होने के कारण खड़े हुए पानी में दुर्गंध उत्पन्न हो गई है ।
मुझे भय है कि बाढ़ के विनाश के बाद कहीं महामारी न फैल जाए । तुम्हारे पिता जी तो वहाँ के डिप्टी कमिश्नर हैं । तुम उनसे इस गाँव की विपदा ग्रस्त जनता की सहायता के लिए प्रार्थना करो और प्रशासन की मदद से गाँव में हुई इस क्षति की पूर्ति करने का आग्रह करो ।
जहाँ तक हो सके गाँव वालों को मुवावजा दिलाया जाए ताकि वे स्वयं को विकसित कर सकें । अपने माता – पिता को चरण-स्पर्श कहना । तुम्हारे पत्र के इंतजार में ।
तुम्हारी सखी,
पूजा जोशी,
11, सुभाषनगर,
राजकोट।
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