ट्यूशन का व्यापार आज शिक्षा का अनिवार्य अंग बनता जा रहा है। उसके कारणों की चर्चा करते हुए विद्यालय की शिक्षा का महत्व स्पष्ट कीजिए।​

ट्यूशन का व्यापार आज शिक्षा का अनिवार्य अंग बनता जा रहा है। यह एक महत्वपूर्ण चिंतनीय विषय है। आज की शिक्षा परीक्षा केंद्रित हो जाने के कारण ही ट्यूशन के व्यापार को फलने-फूलने का भरपूर मौका मिल गया है। शिक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया में विद्यार्थी का सबसे बड़ा और मुख्य उद्देश्य परीक्षा को किसी भी तरह पास करना होता है। ट्यूशन का व्यापार भी इसी बात पर केंद्रित होता है। जो शिक्षक ट्यूशन देते हैं अथवा जो कोचिंग इंस्टिट्यूट ट्यूशन देने की सर्विस उपलब्ध कराते हैं, वे विद्यार्थी को परीक्षा में अधिक से अधिक अंक दिलवाने का दावा करते हैं। चूँकि विद्यार्थी को परीक्षा में सर्वाधिक अंक चाहिए होते हैं ताकि वह परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सके, इसी कारण वो ट्यूशन के मायाजाल में उलझ जाता है।

ट्यूशन शिक्षा का व्यापार बनने का मुख्य कार्य हमारी शिक्षा प्रणाली और विद्यालयों की अकर्मण्यता भी है। विद्यालयों में विद्यार्थियों की शिक्षा पर बराबर ध्यान नहीं दिया जाता। विद्यार्थियों को जो शिक्षा विद्यालय में मिलनी चाहिए उन्हें विद्यालय में नहीं मिल पाती जबकि उन पर परीक्षा में सफल होने का दबाव होता है। ऐसी स्थिति में वे अपनी पढ़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ट्यूशन की ओर आकर्षित होते हैं। ये उनकी विवशता होती है। बिना ट्यूशन के उनकी पढ़ाई ठीक तरह से नहीं हो पाती क्योंकि उन्हें विद्यालय में अपेक्षित पढ़ाई नहीं मिल पाती।
आज के समय में ट्यूशन एक व्यापार बन गया है, इसके लिए आवश्यक है कि इस व्यापार पर अंकुश लगाया जाए। ट्यूशन के कारण न केवल गरीब माता-पिता पर आर्थिक दबाव पड़ता है बल्कि विद्यार्थी पर भी मानसिक बोझ पड़ता है। विद्यालय की शिक्षा सबसे उत्तम शिक्षा है यदि विद्यालय सही तरह से शिक्षा देने की व्यवस्था करें तो विद्यार्थी को ट्यूशन लेने की आवश्यकता ही नहीं पढ़े।

इसलिए आवश्यक है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार कर विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया जाए और विद्यालयों को इस तरह विकसित किया जाए कि इसमें पढ़ने वाले छात्र अपनी शिक्षा की सारी जरूरतों को पूरा कर सकें और उन्हें ट्यूशन अथवा कोचिंग इंस्टिट्यूट न जाना पड़े।

 

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