परीक्षा में आए कठिन प्रश्न-पत्र के बारे में दो मित्रों अरुण और विमल के बीच संवाद…
अरुण : विमल तुम्हारा आज का प्रश्न पत्र कैसा रहा?
विमल : मेरा प्रश्न पत्र आज अच्छा नहीं गया। आज के प्रश्न पत्र में बेहद कठिन प्रश्न थे। मैंने ऐसे प्रश्नों की तैयारी नहीं की थी। मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि प्रश्न पत्र में इतने कठिन प्रश्न आ जाएंगे।
अरुण : बिल्कुल मेरा भी वही हाल है। मेरा भी पेपर आज अच्छा नहीं गया। सच में बहुत ही कठिन प्रश्न थे। पता नहीं किसने यह प्रश्न पत्र तैयार किया था। हमने जितनी भी गाइड बुक तथा मॉडल प्रश्न पत्र देखे थे उनमें किसी में भी इस तरह के प्रश्न नहीं बताए गए थे।
विमल : वही तो बात है। मुझे बड़ी चिंता हो रही है कि कहीं इस विषय में फेल ना हो जाऊं।
अरुण : ऐसा क्यों कह रहे हो? क्या तुम्हारा पेपर बहुत अधिक खराब गया है?
विमल : हाँ मेरा पेपर सच में बहुत खराब गया है, लेकिन उम्मीद है कि मैं पासिंग मार्क्स ले आऊंगा। हालांकि यह डर है कि शायद ऐसा ना हो पाए।
अरुण : हौसला रखो। सब ठीक हो जाएगा तुम चिंता मत करो तुम पास जरूर होगे मैं भी पेपर लगभग इतना तो कर ही आया हूँ कि मैं पास हो जाऊंगा ऐसी उम्मीद है। हालाँकि बहुत अंक शायद नही आएं।
विमल : चलो देखते हैं। अब इसकी चिंता छोड़कर अगले पेपर की तैयारी करते हैं। जो हो गया सो हो गया।
अरुण : बिल्कुल सही कह रहे हो।
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