आजकल देश में विश्वविद्यालयों की बाढ़ सी आई हुई है। विश्वविद्यालय देश में ऐसे खुलने लगे हैं जैसे जगह-जगह कुकुरमुत्ता उग आता है। यह विश्वविद्यालय तरह-तरह के कोर्स कराने का दावा करते हैं और इसके अलावा बड़ी-बड़ी नौकरी की गारंटी भी देते हैं।
इन विश्वविद्यालयों की फीस भी बेहद अधिक होती है जिसे वहन कर पाना धनाढ्य लोगों के वश की ही बात होती है। आम मध्यमवर्गीय या निर्धन वर्गीय आदमी इन विश्वविद्यालयों की फीस को वह नहीं कर पाता।
बहुत से विश्वविद्यालय ऐसे भी हैं, जिनकी कोई मान्यता नहीं है लेकिन वह बड़े-बड़े दावे करके विद्यार्थियों से मनचाही फीस वसूल करके उन्हें कोर्स भी करवा देते हैं, लेकिन बाद में उनके द्वारा दी गई डिग्री की कोई मान्यता नहीं होती और विद्यार्थी खुद को ठगा हुआ महसूस करता है।
इस तरह के विश्वविद्यालयों से सावधान रहने की आवश्यकता है। यह विश्व विद्यालय आवासीय सुविधा भी उपलब्ध कराती है। आवासीय सुविधा में हर तरह की सुविधा होती है और विद्यार्थी को बेहद आरामदायक जिंदगी मिलती है। इस कारण धनी माता-पिता द्वारा ऐसे विश्वविद्यालयों में अपनी संतान को भेजा जाना और संतान को हर तरह की सुविधा मिलने से वह अनुशासनहीन हो जाता है और उसका ध्यान पढ़ाई से अधिक अन्य बातों पर रहता है, जिससे उसके जीवन का सही विकास नहीं हो पाता।
विद्यार्थी चाहे छात्रावास में रहे अथवा घर में रहे अनुशासन का उसके जीवन में बेहद महत्व है। इस तरह के निजी विश्वविद्यालय में अत्याधिक सुविधाएं मिलने के कारण विद्यार्थी में अनुशासन की कमी होती है। अनुशासन रहित विद्यार्थी कभी भी अच्छी शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकता। इसलिए इस तरह के आवासीय विद्यालय की अपनी हानियां भी है।
कुछ अच्छे विश्वविद्यालय भी हैं जो न केवल मान्यता प्राप्त है बल्कि उनके छात्रावास में आम छात्रावास की तरह विद्यार्थी अनुशासन के दायरे में रहते हैं और पढ़ाई पर ध्यान देते हैं। इसलिए सोच समझकर सही विश्वविद्यालय का चुनाव करना आवश्यक है ताकि विद्यार्थी के भविष्य से खिलवाड़ ना हो।
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