फूल और कांटे के बीच संवाद :
फूल : कांटे भाई, आज सुबह से देख रहा हूँ कि तुम कुछ सोच रहे हो ?
कांटा : हाँ , मैं सोच रहा हूँ कि ईश्वर ने हर जीव को इस दुनिया में एक सुरक्षा कवच के साथ भेजा है । लेकिन तुम्हें क्यों नहीं ?
फूल : अरे भाई तुम इतना उदास मत हो मेरे पास तुम हो ना मेरा सुरक्षा कवच ।
काँटा : मेरे प्यारे भाई फूल मैं यह देख कर बहुत दुखी हूँ कि लोग तुम्हारे साथ कितना बुरा व्यवहार करते हैं।
फूल : तुम ऐसा क्यों कह रहे हो भाई ?
काँटा : क्या करूं भाई जब देखता हूँ कि लोग आते हैं तुम्हारी तारीफ करते हैं और फिर तुम्हें पूरी तरह खिलने पहले ही तोड़ देते हैं तो मुझे बहुत दुख होता है और तुम्हें कितना दर्द होता होगा । क्या तुम्हें उन पर गुस्सा नहीं आता ?
फूल : मैं क्या कर सकता हूँ भाई ? मेरी खूबसूरती ही मेरी दुश्मन है ।
काँटा : क्या इन इंसानों के सीने में दिल नहीं है ? इन्हें तुम्हारे दर्द से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है ।
फूल : हाँ , यह सच है कि मुझे दर्द होता है लेकिन जब मैं उनके चेहरे की स्कुराहट को देखता हूँ जोकि मेरे कारण आई है तो मैं अपना सारा दर्द भूल जाता हूँ ।
काँटा : भाई फूल तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है, तुम महान हो ।
फूल : बस-बस अब मेरी इतनी भी तारीफ मत करो ।
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