हाँ, यह बात बिल्कुल सही है, स्वच्छता अभियान की जरूरत गाँव से अधिक शहरों में है। वह भी शहरों के उन हिस्सों में जहाँ पर विस्थापित लोग रहते हैं, जहाँ पर मजदूरों की बस्तियां हैं, जहाँ स्लम क्षेत्र हैं, जहाँ शहरों में स्लम बस्तियाँ हैं।
ऐसा इसलिए है क्योंकि शहरों के यह क्षेत्र निम्न एवं निर्धन वर्ग से संबंध रखने वाले लोगों के रहिवासी क्षेत्र होते हैं। इन क्षेत्रों में साफ-सफाई का उचित प्रबंध नहीं होता। ऐसे क्षेत्रों में जन सुविधाओं का अभाव होता है। लोग बेहद गंदी परिस्थितियों में रहते हैं। यहाँ पर ना तो कूड़े-कचरे का निपटान सही तरह से होता है और ना ही शौचालय जैसी सुविधाओं का पर्याप्त प्रबंध होता है। इस कारण ऐसे क्षेत्रों में गंदगी की अधिक संभावनाएं होती हैं।
शहरों के धनाढ्य एव पॉश क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपने आसपास साफ-सफाई करने के लिए अनेक तरह की सुविधाएं जुटा लेते हैं। ऐसे क्षेत्रों में साफ-सफाई के लिए शासन-प्रशासन भी पूरी तरह से तत्पर रहता है। लेकिन विस्थापितों, निर्धनों की बस्तियों एवं स्लम बस्तियों की तरफ कोई ध्यान नहीं देता, जहाँ पर गंदगी ही गंदगी रहती है।
इसलिए स्वच्छता अभियान की सबसे अधिक जरूरत ऐसे क्षेत्रों को ही है। इन क्षेत्रों के लोगों का जीवन अत्यन्त कठिनाई भरा होता है। उचित साफ-सफाई के अभाव में बस्तियों में रहने वाले लोग बीमारियों से भी घिर जाते हैं। इसलिए स्वच्छता अभियान की सबसे अधिक जरूरता विस्थापितों, निर्धनों की बस्तियों और स्लम झुग्गी-झोपड़ियों को ही है।
अन्य प्रश्न
आपके क्षेत्र में स्वच्छता अभियान कार्यक्रम चला गया इसका वृत्तांत लिखिए ।
अपने क्षेत्र में स्वच्छता जागरण कार्यक्रम के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए