दुलारी को टुन्नू के प्यार में यह विशेषता दिखाई दी कि दुलारी जानती थी कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक ना होकर आत्मिक प्रेम है। जहाँ टुन्नू मात्र 16 वर्ष का युवक था, वहीं दुलारी ढलते यौवन की प्रौढ़ा थी। दुलारी टुन्नू की काव्य प्रतिभा को पसंद करती थी और यह भी जानती थी कि कि टुन्नू उसे मन ही मन प्रेम करता है।
दुलारी ने टुन्नू के प्रेम निवेदन को कभी प्रत्यक्ष रूप से स्वीकारा नहीं लेकिन मन ही मन वह भी उससे प्रेम करती थी। वह जानती थी टुन्नू का उसके प्रति प्रेम शारीरिक न होकर आत्मिक प्रेम है। इसी कारण उसके मन में टुन्नू के प्रति श्रद्धा भाव भी थे। वह जानती थी उसकी कला और उसके प्रति आत्मीयता के कारणों से प्रेम करता है।
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भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?