शब्दों के माध्यम से जब कवि दृश्यों, चित्रों, ध्वनि-योजना अथवा रूप-रस-गंध को हमारे ऐन्द्रिक अनुभवों में साकार कर देता है तो बिंब का निर्माण होता है। इस आधार पर प्रस्तुत कविता से बिंब की खोज करें।


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इस कविता में अनेक बिंबों का प्रयोग किया गया है। कुछ बिंब इस प्रकार हैं…

नम में पाँति बांधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जाती हैं वे मेरी आँखे,
कजरारे बादलों की नभ छाया
तैरती सांझ की सतेज श्वेत कायाइसके अलावा अन्य कई बिंब कविता में प्रस्तुत किए गए हैं।
जैसे छोटा मेरा खेत चौगुना
कागज का एक पन्ना कोई
अनपढ़ कहीं से आया.
शब्द के अंकुर फूटे
सुमन लगे फल

पाठ के बारे में…

इस पाठ में कवि उमाशंकर जोशी द्वारा लिखी गई दो कवितायें ‘छोटा मेरा खेत’ और ‘बगुलों के पंख’ प्रस्तुत की गई हैं।

‘छोटा मेरा खेत’ कविता छोटा मेरा खेत के माध्यम से कवि ने खेती के रूपक के रूप में कवि कर्म के हर एक चरण को गढ़ने की कोशिश की है। कागज का पन्ना जिस पर शब्द रचना की जाती है, उसको कवि ने एक चौकोर खेत के समान माना है। इस कागज रूपी खेत में किसी अंधड़ में भावनात्मक आंधी के बीच विचार तथा अभिव्यक्ति का बीज बोया जाता है। बीज कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और अंत में उसमें शब्दों के अंकुर निकलते हैं। ये ही बीज एक कृति का पूर्ण रूप धारण कर लेता है।
कृषि कार्य में भी एक बीज बोकर उसे पल्लवित पुष्पित करके उसे पौधे का रूप दिया जाता है और फिर फसल तैयार होती है। उसी तरह कविता ने भी विचार एवं अभिव्यक्ति का बीज बोकर उसे पल्लवित पुष्पित करके उससे कृति रूपी फसल तैयार की जाती है।’बगुलों के पंख’ कविता के माध्यम से कवि ने एक सुंदर दृश्य का वर्णन किया है । कवियों ने सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए उन्हें कई तरह की युक्तियां अपनाई है। उन्होंने चित्र वर्णन के साथ-साथ अपने मन पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन किया है। कवि ने इस कविता में भी ऐसे ही प्रयोग किया है। उसने काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए सफेद बगलो के सुंदर दृश्य को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया है।

कवि के अनुसार ये सफेद बगुले कजरारे बादलों के बीच के ऊपर तैरती चाँद की श्वेत काया के समान दिखाई देते हैं और यह दृश्य इतना मनमोहक होता है कि कवि सब कुछ भूल कर इसी दृश्य को देखने में मग्न जाता है।उमाशंकर जोशी एक प्रसिद्ध कवि रहे हैं, जिनका जन्म सन 1911 में गुजरात में हुआ था। वह बीसवीं सदी की गुजराती कविता और साहित्य को एक नई दिशा वाले कवि रहे हैं । उनकी प्रमुख रचनाओं में विश्व शांति, गंगोत्री, निशीथ, वसंत वर्षा, प्राचीना, आतिध्य, अभिज्ञा नामक एकांकी, सापना भरा शहीद नामक कहानी, श्रावणी मेणों, विसामो नामक उपन्यास आदि प्रमुख हैं। उन्होंने संस्कृति नामक पत्रिका का संपादन भी किया।  उनका निधन 1988 में हुआ ।

संदर्भ पाठ :

छोटा मेरा खेत/बगुलों के पंख, कवि – उमाशंकर जोशी (कक्षा – 12, पाठ – 10, हिंदी, आरोह भाग 2)

 

पाठ के अन्य प्रश्न

व्याख्या करें- 1. शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष। 2. रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।

रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की और इंगित किया है?

 

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