रचना के संदर्भ में अंधड़ और बीच विचारों की उत्पन्न होने वाली आंधी तथा उन विचारों की आंधी के बीच किसी विचार के जम जाने पर कागज पर उतरने शब्द हैं।
किसी भी रचना के करने से पूर्व कवि के मन में विचारों की का एक अंधड़ चलता है यानि विचारों की आंधी चलती रहती है। जब वह आंधी शांत होती है, तब कवि किसी एक स्थिर विचार पर ठहर जाता है। यही विचार शब्द बनकर कागज पर अंकित हो जाता है। यही शब्द वे बीज है जो धीरे-धीरे एक के बाद एक कागज पर बिखरते रहते हैं और मिलकर एक संपूर्ण कृति का आकार ले लेते हैं।
इस तरह के रचना के संदर्भ में अंधन विचारों का प्रवाह है और बीज वे शब्द है जो विचार को संपूर्ण कृति का आकार देने का कार्य करते हैं।
पाठ के बारे में…
इस पाठ में कवि उमाशंकर जोशी द्वारा लिखी गई दो कवितायें ‘छोटा मेरा खेत’ और ‘बगुलों के पंख’ प्रस्तुत की गई हैं।
‘छोटा मेरा खेत’ कविता छोटा मेरा खेत के माध्यम से कवि ने खेती के रूपक के रूप में कवि कर्म के हर एक चरण को गढ़ने की कोशिश की है। कागज का पन्ना जिस पर शब्द रचना की जाती है, उसको कवि ने एक चौकोर खेत के समान माना है। इस कागज रूपी खेत में किसी अंधड़ में भावनात्मक आंधी के बीच विचार तथा अभिव्यक्ति का बीज बोया जाता है। बीज कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और अंत में उसमें शब्दों के अंकुर निकलते हैं। ये ही बीज एक कृति का पूर्ण रूप धारण कर लेता है।
कृषि कार्य में भी एक बीज बोकर उसे पल्लवित पुष्पित करके उसे पौधे का रूप दिया जाता है और फिर फसल तैयार होती है। उसी तरह कविता ने भी विचार एवं अभिव्यक्ति का बीज बोकर उसे पल्लवित पुष्पित करके उससे कृति रूपी फसल तैयार की जाती है।’बगुलों के पंख’ कविता के माध्यम से कवि ने एक सुंदर दृश्य का वर्णन किया है । कवियों ने सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए उन्हें कई तरह की युक्तियां अपनाई है। उन्होंने चित्र वर्णन के साथ-साथ अपने मन पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन किया है। कवि ने इस कविता में भी ऐसे ही प्रयोग किया है। उसने काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए सफेद बगलो के सुंदर दृश्य को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया है।
कवि के अनुसार ये सफेद बगुले कजरारे बादलों के बीच के ऊपर तैरती चाँद की श्वेत काया के समान दिखाई देते हैं और यह दृश्य इतना मनमोहक होता है कि कवि सब कुछ भूल कर इसी दृश्य को देखने में मग्न जाता है।उमाशंकर जोशी एक प्रसिद्ध कवि रहे हैं, जिनका जन्म सन 1911 में गुजरात में हुआ था। वह बीसवीं सदी की गुजराती कविता और साहित्य को एक नई दिशा वाले कवि रहे हैं । उनकी प्रमुख रचनाओं में विश्व शांति, गंगोत्री, निशीथ, वसंत वर्षा, प्राचीना, आतिध्य, अभिज्ञा नामक एकांकी, सापना भरा शहीद नामक कहानी, श्रावणी मेणों, विसामो नामक उपन्यास आदि प्रमुख हैं। उन्होंने संस्कृति नामक पत्रिका का संपादन भी किया। उनका निधन 1988 में हुआ ।
संदर्भ पाठ :
छोटा मेरा खेत/बगुलों के पंख, कवि – उमाशंकर जोशी (कक्षा – 12, पाठ – 10, हिंदी, आरोह भाग 2)
पाठ के अन्य प्रश्न
रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की और इंगित किया है?
छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?