समाज का सभ्य व्यक्ति ही नागरिक है, जो किसी भी गाँव, शहर या नगर का रहने वाला हो तथा उसे सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं । आज का नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकता है या फिर वह स्वयं भी चुनाव में खड़ा हो सकता है ।
18 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले सभी वयस्कों को, चाहे वे शिक्षित हो या अशिक्षित, स्त्री हो या पुरुष, किसी भी जाति या धर्म के क्यों न हो, अपने राजनीतिक एवं सामाजिक अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं । परन्तु कोढ़ी, दिवालिये, साधु-संन्यासी या फिर मानसिक विक्षप्त व्यक्ति को इस अधिकार से वंचित रखा गया है ।
प्रत्येक नागरिक के अधिकारों के साथ कर्तव्य भी जुड़े होते हैं, अर्थात् अधिकार एवं कर्तव्य अन्योन्याश्रित होते हैं अतः एक जागरूक एवं सभ्य नागरिक को अपने अधिकार पाने की इच्छा के साथ-साथ कर्तव्य निभाने की इच्छा शक्ति भी रखनी चाहिए ।
नागरिकों के अधिकार
संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को कुछ अधिकार प्राप्त हैं, जो दो भागों में विभाजित हैं-सामाजिक एवं राजनैतिक । सामाजिक अधिकारों में सर्वप्रथम मनुष्य को जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है । प्रत्येक नागरिक अपनी इच्छानुसार निडर होकर निश्चिंत जीवन जी सकता है ।
सामाजिक अधिकारों में ही दूसरा अधिकार संपत्ति अर्जित करने का अधिकार है । यदि किसी व्यक्ति ने वैध तरीकों से धन एकत्रित किया है तो कोई भी उस धन को उससे नहीं छीन सकता । उसे रहने के लिए घर, खाने के लिए भोजन व पहनने के लिए वस्त्र उचित मात्रा में मिलने चाहिए ।
हर नागरिक को सामुदायिक जीवन का अधिकार प्राप्त है, वह बल्कि होकर अपना मन पसंद जीवन साथी चुन सकता है । धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र होने के कारण हर व्यक्ति को अपनी मर्जी से कोई भी धर्म अपनाने की सुविधा प्राप्त है ।
इसके अतिरिक्त उसे अपनी पसंद का कार्य करने का अधिकार प्राप्त है । यदि कोई भी व्यक्ति बेकारी झेल रहा है तो शासन की ओर से उसको उसकी योग्यता के आधार पर रोजगार मिलना चाहिए । प्रत्येक नागरिक को निःसंकोच अपनी बात कहने का भी अधिकारन है ।
राजनीतिक अधिकारों के अंतर्गत प्रत्येक वयस्क स्त्री-पुरुष को मत देने का अधिकार प्राप्त है । वह अपनी योग्यता के आधार पर किसी भी पद पर शासन कर सकता है । इस प्रकार एक राष्ट्र कितना विकसित, उन्नत एवं समृद्ध है, इस बात का पता उस राष्ट्र के नागरिकों को प्राप्त अधिकारों से चलता है ।
भारतीय नागरिकों को निम्न लिखित मूल अधिकार प्राप्त हैं:
- समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से से 22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
- संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32)
नागरिकों के कर्त्तव्य
1950 में जब संविधान प्रभाव में आया था, इस समय भारत के संविधान में कोई भी मौलिक कर्तव्य नहीं था । इसके बाद 1976 में 42वें संवैधानिक संशोधन के दौरान भारतीय संविधान में दस मौलिक कर्तव्यों को (अनुच्छेद 51अ के अन्तर्गत) जोड़ा गया था ।
भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य निम्नलिखित है
भारतीय नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान का सम्मान करना चाहिए ।
हमें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पालन किए गए विचारों के मूल्यों का सम्मान करना चाहिए ।
हमें देश की शक्ति, एकता और अखंडता की रक्षा करनी चाहिए ।
हमें देश की रक्षा करने के साथ ही भाईचारे को बनाए रखना चाहिए ।
हमें अपने सांस्कृतिक विरासत स्थलों का संरक्षण और रक्षा करनी चाहिए ।
हमें प्राकृतिक वातावरण की रक्षा, संरक्षण और सुधार करना चाहिए ।
हमें सार्वजनिक सम्पत्ति का रक्षा करनी चाहिए ।
हमें वैज्ञानिक खोजों और जांच की भावना विकसित करनी चाहिए ।
हमें व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के हर प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करनी चाहिए ।
कुछ अन्य अनुच्छेद
जलवायु परिवर्तन पर 100 शब्दो का अनुच्छेद लिखिए
स्वास्थ्य की रक्षा’ विषय पर 80 – 100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए
“नववर्ष में मेरा संकल्प “अनुच्छेद लिखिए |
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