‘मैं सबसे छोटी होऊं’ कविता के आधार पर अगर हम कहें तो यह बिल्कुल सही बात है कि बचपन अनमोल होता है। बचपन जीवन का सबसे सुनहरा व उज्जवल पक्ष होता है।
बचपन जीवन की कठिनाइयों जीवन के तनाव और संघर्ष से परे होता है। बचपन में हमें सुख और दुख बीच का अंतर नहीं पता होता। बचपन में हमें केवल सुख ही प्राप्त होते हैं, क्योंकि हमारे बड़े यानि हमारे माता-पिता या अभिभावक तकलीफें खुद सहकर हमें हर तरह की खुशी प्रदान करने का प्रयत्न करते हैं।
इस कारण हमें दुख और तकलीफ का एहसास नहीं हो पाता।
जब हम बड़े होते हैं, स्वयं कमाना शुरू करते हैं तब हमें में पता चलता है कि जीवन में कितने संघर्ष हैं। बचपन में हमारे माता-पिता हमारी इच्छा को पूरा करते हैं। वह हमें अपने सिर आँखों पर बिठाते हैं। हमें बेहद लाड़-प्यार-दुलार करते हैं।
बचपन में जो हमें लाड प्यार दुलार अपने माता-पिता, दादा-दादी तथा अन्य बड़ों से मिलता है, वह लाड़-दुलार फिर हमें जीवन में फिर कभी नहीं मिल पाता।
बचपन में माँ के आँचल की छाया में, माँ की गोद में जो सुखद अहसास बिताते हैं, वह फिर कभी जीवन में नहीं मिल पाता, इसलिए बचपन सबसे अनमोल होता है।
‘मैं सबसे छोटी होऊं’ कविता में भी छोटी बच्ची इसी प्रकार अपने माँ के प्रति अपने मनोभावों को व्यक्त कर रही है। वह बच्ची इसीलिए छोटी ही रहना चाहती है, ताकि उसे अपनी माँ का प्यार-दुलार हमेशा यूं ही मिलता रहे।
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