मृणालिनी के मना करने के बावजूद कैलाश साँप का तमाशा इसलिए दिखाता रहा क्योंकि उसने देख लिया था कि मृणालिनी साँप का तमाशा देखना चाहती थी और जब उसने टालमटोल की थी तो अपने सभी दोस्तों के सामने मृणालिनी की झेंपी हुई सूरत देखकर उसे खराब लगा। वह मृणालिनी को सब लोगों के बीच शर्मिंदा नहीं करना चाहता था, इसलिए उसने अपनी प्रेमिका मृणालिनी को प्रभावित करने के लिए साँप का तमाशा दिखाना शुरू कर दिया।
मृणालिनी उसे मना करती रही कि साँप को केवल दूर से ही दिखा दो उसे गले में मत डालो। लेकिन कैलाश ने उसकी एक न सुनी और उसे साँपों को गले में डाल-डाल कर प्रदर्शन करने लगा।
यह सब देख कर मृणालिनी को अपनी जिद पर पछतावा हुआ, जब उसने कैलाश को साँप दिखाने की जिद की थी। उसे डर लगने लगा कि साँप कहीं कैलाश को काट न लें।
यह सब देख कर मृणालिनी को अपनी जिद पर पछतावा हुआ, जब उसने कैलाश को साँप दिखाने की जिद की थी। उसे डर लगने लगा कि साँप कहीं कैलाश को काट न लें।
संदर्भ : कहानी ‘मंत्र’ लेखक – प्रेमचंद
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