‘इस जल प्रलय में’ पाठ के आधार पर कहीं तो दुख की घड़ी में भी जब कुछ लोग संवेदनहीन हो जैसा आचरण करते हैं तो उसका परिणाम यह होता है कि लोग ऐसे लोग के जीवन में जब दुख की घड़ी आती है, तब उनके साथ देने वाला कोई नहीं होता। दुख की घड़ी में यह आवश्यक है कि दूसरों के दुख को अपना दुख समझते हुए उसे हर संभव सहयोग प्रदान किया जाए। जो लोग ऐसा नहीं करते और दूसरों के दुखों में अपना दुख ना समझकर संवेदनहीन जैसा आचरण करते हैं तो जब भी उनके जीवन में दुख आता है तो उनका साथ देने वाला भी कोई नहीं होता।
दुख एक ऐसा चरण है जो हर किसी के जीवन में कभी ना कभी आता ही है। दुख से कोई नहीं बच पाया है, ऐसा लोगों को हमेशा सोचना चाहिए। यदि वह ऐसा सोचेंगे तो उनके जीवन में दुख की घड़ी में साथ देने वाले अनेक लोग होंगे।
‘इस जल प्रलय में’ पाठ में लेखक परिचय नाथ रेणु ने पटना शहर में आई भीषण बाढ़ के विषय में वर्णन किया है, जिसके कारण पूरा पटना से लगभग डूब गया था और पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था। लेखक ने बाढ़ के पानी को ‘प्रलय दूत’ की संज्ञा दी है।
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आज के संदर्भ में ‘अपना – पराया’ पाठ की प्रासंगिकता पर टिप्पणी लिखिए ।
2 thoughts on “दुःख की घड़ी में भी जब कुछ लोग संवेदनहीनों जैसा आचरण करते हैं तो उसका परिणाम क्या होता है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। पाठ ‘इस जल प्रलय में’<div class="yasr-vv-stars-title-container"><div class='yasr-stars-title yasr-rater-stars' id='yasr-visitor-votes-readonly-rater-2bf956e0635fd' data-rating='0' data-rater-starsize='16' data-rater-postid='7572' data-rater-readonly='true' data-readonly-attribute='true' ></div><span class='yasr-stars-title-average'>0 (0)</span></div>”