आज के संदर्भ में ‘अपना – पराया’ पाठ की प्रासंगिकता पर टिप्पणी लिखिए ।


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आज के संदर्भ में अपना पराया पाठ की बेहद अधिक प्रासंगिकता है। इस पाठ के माध्यम से शरीर की ज्ञानेंद्रियों के बारे में बताया गया है तथा स्वच्छता से रहने के नियम भी सुझाए गए हैं। आज अक्सर कोरोना महामारी का संकट मंडराने लगता है तथा अन्य कई तरह की बीमारियां फैलती रहती है। ऐसे समय में अपनी स्वच्छता एवं सफाई के विषय में बेहद अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

‘अपना पराया’ पाठ में यही सब बातें बताई गई हैं कि हमें खाने पीने से पहले हाथों को क्यों अच्छी तरह धोना चाहिए तथा अपनी सभी ज्ञानेंद्रियों का उपयोग किस तरह कुशलतापूर्वक करना चाहिए ताकि हमारे शरीर में किसी भी तरह का कोई विकार न उत्पन्न होने पाए। आज महामारी आदि की आशंका में जी रहे मनुष्य के लिए ‘अपना पराया’ पाठ प्रासंगिक है क्योंकि इसके माध्यम से वह अपने स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता को समझ सकता है।

 

अन्य प्रश्न

संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव। जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार। पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।

‘शुद्ध सोने में ताबे की मिलावट या ताँबें में सोना’, गाँधी जी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।

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