त्योहारों का हमारे जीवन में महत्व पर दादा एवं पोते के बीच संवाद
पोता : दादाजी, हम पूरे साल अलग अलग त्यौहार मनाते हैं, इनके पीछे क्या संदेश छिपा होता है।
दादा : बेटा, हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई संदेश अवश्य छिपा होता है। कोई भी त्यौहार देश या क्षेत्र की संस्कृति से जुड़ा होता है।
पोता : दादाजी दिवाली का त्यौहार क्यों मनाते हैं? उसके पीछे क्या संदेश छुपा है?
दादा : बेटा, दिवाली का त्यौहार मनाने के पीछे यह संदेश छिपा है कि हमें अपने जीवन से निराशा रूपी अंधकार को भगाना है और आशा रूपी रोशनी के दीप जलाने हैं। दिवाली का त्यौहार हमें अपने जीवन को रोशनी से भरने का संदेश देता है।
पोता : दशहरा के त्यौहार के पीछे क्या संदेश है?
दादा : बेटा दशहरे के त्यौहार के पीछे यह संदेश है कि बुराई पर अच्छाई की जीत होती है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था। श्रीराम अच्छाई का प्रतीक हैं और रावण बुराई का प्रतीक था, इसलिए यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है। उसी तरह बेटा होली के त्यौहार के पीछे यह संदेश छिपा है कि हमें अपने मन के तारे विकारों और बुराइयों को होली की आग में जलाकर भस्म कर देना है और सद्गुणों को अपनाना है। होली के त्योहार रंगों के माध्यम से हमें प्रेम और भाईचारे को अपनाने की संदेश मिलता है।
पोता : रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
दादा : बेटा, रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के स्नेह के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। यह त्यौहार हमें यह सीख देता है कि भाई और बहन का संबंध इस जगत में अनोखा संबंध है और बहन या भाई के किसी संकट में पड़ने पर दूसरी उसकी रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहता है।
पोता : दादा जी, अब समझा त्योहार के पीछे क्या उद्देश्य और क्या संदेश है।
दादा : हाँ बेटा, हमारे त्योहार हमारी परंपरा एवं संस्कृति का प्रतीक होते हैं और यह हमारी वैभवशाली समृद्धि इतिहास को भी प्रदर्शित करते हैं।
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