कोई अपने मन को शक्तिशाली कैसे बना सकता है? (भगवद् गीता 3.42)


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अपने मन को शक्तिशाली बनाने के लिए इंद्रियों पर नियंत्रण करना आवश्यक है।
मन पर नियंत्रण पाने के लिए शरीर की पांचों इंद्रियों पर को वश में करना जरूरी होता है हमारे शरीर की इंद्रियां हमारे शरीर को नियंत्रित करती है। यदि हमने अपनी पाँचों इंद्रियों को वश में कर लिया तो हमारा शरीर गलत दिशा में जाने से रुकेगा। यदि हमारा शरीर गलत दिशा में नहीं जाएगा तो हमारा मन भी नियंत्रित होगा। यदि हमने अपने मन को नियंत्रित करना सीख लिया तो मन शक्तिशाली होता जाएगा।
जो अपने मन पर सख्ती से लगाम लगा लेता है, वही अपने मन को शक्तिशाली बना सकता है।

श्रीमद्भागवत गीता के श्लोक संख्या 3.42 में कहा गया है कि…

इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मनः।
मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु सः।।3.42।।

अर्थात शरीर से परे इंद्रियां ही जाती हैं और इंद्रियों से परे मन है, मन से परे बुद्धि है और बुद्धि से परे आत्मा है अर्थात जिसने इंद्रियों को अपनी बुद्धि से वश में कर लिया उसने समझ लो अपने मन को भी वश में कर लिया। जिसने अपने मन को वश में कर लिया वे अपने शरीर और आत्मा को वश में कर सकता है। इसलिए अपनी इंद्रियों को वश में करके भौतिक सुखों का परित्याग करके ही मन को नियंत्रित किया जा सकता है।

 

अन्य प्रश्न

वाणी का महत्व विषय पर 25 से 30 शब्दो में विचार लिखिये।

‘युद्ध विनाश एवं शांति विकास का कारण होता है।’ इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।

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