गुरुदेव शब्द महान बांग्ला कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर उर्फ रवीन्द्रनाथ ठाकुर के लिए प्रयोग किया जाता था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर जोकि बांग्ला भाषा के एक जाने-माने कवि, साहित्यकार, दार्शनिक थे। उन्हें गुरुदेव संबोधन से भी पुकारा जाता था। उन्होंने अपने बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय साहित्य को समृद्ध किया और भारत में एक नई सांस्कृतिक चेतना भी भरी।
रवीन्द्रनाथ टैगोर भारत के राष्ट्रीय गान जन गण मन के रचयिता भी हैं। इसके अलावा उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला की भी रचना की थी। रवीन्द्रनाथ टैगोर पहले भारतीय हैं, जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। ये नोबल पुरुस्कार उनकी रचना गीतांजलि के लिए 1913 में मिला था। रवीन्द्रनाथ टैगोर को गुरुदेव संबोधन महात्मा गाँधी ने प्रदान किया था। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने महात्मा गांधी को महात्मा कहना बुलाना शुरू किया तो बदले में महात्मा गांधी ने उन्हें गुरुदेव संबोधन दिया। तब से रवीन्द्रनाथ टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाने लगा।
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