यदि मुझे शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे अपने किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो तो मैं उसका परिचय इस तरह करवाऊंगी।
इससे मिलिए यह मेरा मित्र है। ये शारीरिक रूप से कमजोर है। लेकिन यह केवल शारीरिक रूप से ही कमजोर है, अपने हौसले और साहस से कमजोर नहीं। यह वह सारे कार्य कर लेता है जो एक स्वस्थ व्यक्ति कर लेता है। यह मेरे साथ ही पढ़ता है और हम दोनों बेहद अच्छे मित्र हैं। पढ़ाई में यह जरा भी कमजोर नहीं है। हम दोनों एक दूसरे की मदद करते रहते हैं।
ये भले ही शारीरिक रूप से कमजोर हो लेकिन जीवन की अन्य गतिविधियों में बहुत आगे है। इसे लिखने में बहुत रुचि है और यह बेहद सुंदर कविताएं और कहानियां लिखता है। इसने कई पत्रिकाओं में अपनी लेख, कविता, कहानियां प्रकाशित करवाए हैं। इसने जीवन के दूसरे क्षेत्रों में सफलता हासिल कर यह सिद्ध कर दिया है कि एक शारीरिक कमी किसी व्यक्ति को सफल होने से नहीं रोक सकती। कोई भी चाहे तो अपनी शारीरिक कमी को अपनी कमजोरी नहीं अपना हथियार बना सकता है।
पाठ के बारे में…
इस पाठ में रघुवीर सहाय द्वारा रचित ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता प्रस्तुत की गई है। इस कविता के माध्यम से कवि ने शारीरिक चुनौती को खेलने वाले व्यक्ति की मनोदशा और उससे लाभ उठाने वाले दूरदर्शन कार्यक्रमों की आलोचना ही है। कवि का कहना है कि कैमरे के सामने शारीरिक अक्षमता झेल रहे व्यक्ति से कैसे-कैसे सवाल पूछे जाते हैं और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उसकी जैसी भाव-भंगिमा की अपेक्षा की जाती है, उससे अपाहिज व्यक्ति का कोई भला नहीं होता बल्कि उसे पीड़ा का ही सामना करना पड़ता है।
कवि ने यह बात बताने का प्रयास किया है ही शारीरिक चुनौती झेलने वाले लोगों के प्रति संवेदनशील नजरिया अपनाने की जगह लोग उनकी शारीरिक क्षमता से भी लाभ उठाने की कोशिश करते हैं और उनकी कमजोरी को दिखाकर कार्यक्रम बनाकर वाह-वाही तो बटोर लेते हैं, लेकिन यह एक प्रकार की क्रूरता है।रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के एक जाने-माने कवि रहे हैं, जिन्होंने अनेक मर्मस्पर्शी और संवेदनशील कविताओं की रचना की। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में सन 1929 में हुआ था। वे समकालीन हिंदी कविता के संवेदनशील नागर चेहरा माने जाते हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में सड़क, चौराहा, अखबार, दफ्तर, संसद, रेल, बस और बाजार आदि की भाषा में कविताएं रखी है। उन्होंने सामान्य जीवन और घरवाले के चरित्रों पर कब्जा लिखकर अपनी इन्हीं अपनी चेतना का स्थाई पात्र बनाया।
उनकी प्रमुख रचनाओं में अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक है, इसके अलावा उन्होंने आरंभिक कविताएं , चिड़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो-हँसो जल्दी हँसो जैसी कविताओं की रचना की एक प्रसिद्ध पत्रकार भी रहे और ऑल इंडिया रेडियो के लिए हिंदी समाचार विभाग से संबद्ध रहे। इसके अलावा वह नवभारत टाइम्स समाचार पत्र और दिनमान पत्रिका से भी संबद्ध थे। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। उनका निधन 1990 में दिल्ली में हुआ।
संदर्भ पाठ :
“कैमरे में बंद अपाहिज” – रघुवीर सहाय (कक्षा – 12, पाठ – 4, हिंदी, आरोह भाग-2)
इस पाठ के अन्य प्रश्न
परदे पर वक्त की कीमत है कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नज़रिया किस रूप में रखा है?
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