भाव स्पष्ट कीजिए।
उड़ा दिए थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे।
भाव : ‘तोप’ कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि वीरेन डंगवाल ने यह बताया है कि तोप अपनी पुरानी गाथा का वर्णन करते हुए कहती है कि एक समय उसका भी था जब उसने किसी की भी नहीं सुनी। इतने बड़े बड़े सूरमाओं को अपने आगे उड़ा दिया। उस तोप का उसका इतना आतंक था कि सब लोग उससे घबराते थे। बड़े से बड़ा वीर भी उसके सामने टिक नहीं पाता था। तोप अपने उन दिनों को याद करती है, जब वह बेहद ताकतवर थी और आज वह बेहद कमजोर हो गई है। जिस तोप की एक समय धाक थी, आज उसकी बच्चे कर रहे है।
संदर्भ पाठ :
तोप : वीरेन डंगवाल (कक्षा – 10, पाठ – 7, हिंदी, स्पर्श भाग – 2)
इस पाठ के अन्य प्रश्न
भाव स्पष्ट कीजिए। वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद।