कंपनी बाग में रखी तोप हमें यह सीख देती है कि कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो एक ना एक दिन उसे समय के फेर में आकर झुकना ही पड़ता है। समय हमेशा एक समान नहीं रहता। बड़े से बड़े शक्तिशाली सूरमा भी एक दिन दयनीय बन चुके हैं। समय परिवर्तनशील है और यह अच्छे-अच्छे ताकतवर के अहंकार को चूर कर चुका है।
कभी एक समय ये तोप बेहद ताकतवर हुआ करती थी और जिसने कई स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के जीवन का बलिदान लिया था। आज इस तोप की दशा दयनीय बन चुकी है, अब तोप कोई नहीं पूछता बच्चों के खेलने का खिलौना मात्र बन कर रही हो। एक समय में ये तोप भले ही स्वाधीनता सेनानियों पर गरजती हो लेकिन आज उसकी वह गर्जन शांत हो चुकी है।
संदर्भ पाठ :
तोप : वीरेन डंगवाल (कक्षा – 10, पाठ – 7, हिंदी, स्पर्श भाग – 2)
इस पाठ के अन्य प्रश्न
इस कविता से तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है?
विरासत में मिली चीजों की बड़ी संभाल क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।