भाव स्पष्ट कीजिए- युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल, प्रियतम का पथ आलोकित कर!

युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!

भाव इस प्रकार होगा :

इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री ने दीपक को निरंतर हर-पल, हर-समय जलते रहने के लिए कहा है। कवयित्री के कहने का भाव यह है कि उसके अंदर आस्था रूपी ज्ञान का दीपक हर-पल, हर-क्षण, हर-दिन निरंतर जलता रहे और युगों-युगों तक अपने प्रकाश से आलोकित करता रहे।

कवयित्री चाहती है कि जब तक उसका हृदय रूपी दीपक निरंतर जलता रहेगा तभी उसके मन में व्याप्त अंधकार नष्ट होगा और वह अपने प्रियतम रूपी ईश्वर को पाने के आलोकित पथ पर चल सकेगी।

पाठ के बारे मे…

इस पाठ में महादेवी वर्मा ही कविता ‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल’ को प्रस्तुत किया गया है। इस कविता के माध्यम से कवयित्री अपने आप से जो अपेक्षाएं करती है, यदि वह पूरी हो जाए तो ना केवल उसका अपना भला होगा बल्कि हर आमजन का कितना भला हो सकता है, यह बताने का प्रयास कवयित्री ने किया है। कवयित्री के अनुसार हम सब भले ही अलग-अलग शरीर धारी हों, लेकिन हैं हम एक ही, जो हमें मनुष्य नाम की जाति के रूप में पहचान प्रदान करता है।

 

संदर्भ पाठ :

महादेवी वर्मा – मधुर-मधुर मेरे दीपक जल (कक्षा – 10 पाठ – 6, हिंदी, स्पर्श भाग-2)

 

इस पाठ के अन्य प्रश्न-उत्तर…

भाव स्पष्ट कीजिए- दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित, तेरे जीवन का अणु गल गल!

क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा ‘महादेवी वर्मा’ इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने कि लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अतंर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए?

पूरे पाठ के सभी प्रश्न उत्तर…

मधुर मधुर मेरे दीपक जल : महादेवी वर्मा (कक्षा-10 पाठ-6 हिंदी स्पर्श 2)

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