मीराबाई और आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियां अपना ही है उनमें कुछ तो समानता है लेकिन अधिकतर में असमानता ही है। इसका मुख्य कारण यह है कि जहाँ मीराबाई ने अपने आराध्य के सगुण रूप की आराधना की है, वही महादेवी वर्मा ने अपने आराध्य के निर्गुण रूप की आराधना की है।
मीराबाई ने कृष्ण भगवान के सुंदर रूप को अपनाकर उनकी आराधना उपासना । वहश्री कृष्ण के रूप सौंदर्य पर मोहित है। वह श्री कृष्ण से मिलने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है वह उनके घर में बाग-बगीचे लगाने के लिए तैयार हैं। वह श्रीकृष्ण के घर में चाकरी करने तक के लिए तैयार है। ताकि रोज श्रीकृष्ण के सुंदर मनोहारी रूप का दर्शन कर सकें। इसके विपरीत महादेवी वर्मा ने निराकार ब्रह्मा को उपासना का आधार बनाया है।दोनों में समानता यह है कि दोनों अपने अपने आराध्य की अन्यतम भक्त हैं और अपने आराध्य को पाने के लिए किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार है। वह ऐसा कुछ भी करने के लिए तैयार हैं जो उनको उनके आराध्य तक पहुंचाने में मदद करें।
संदर्भ पाठ :
महादेवी वर्मा – मधुर-मधुर मेरे दीपक जल (कक्षा – 10 पाठ – 6, हिंदी, स्पर्श भाग-2)
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मधुर मधुर मेरे दीपक जल : महादेवी वर्मा (कक्षा-10 पाठ-6 हिंदी स्पर्श 2)