क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा ‘महादेवी वर्मा’ इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने कि लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अतंर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए?

मीराबाई और आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियां अपना ही है उनमें कुछ तो समानता है लेकिन अधिकतर में असमानता ही है। इसका मुख्य कारण यह है कि जहाँ मीराबाई ने अपने आराध्य के  सगुण रूप की आराधना की है, वही महादेवी वर्मा ने अपने आराध्य के निर्गुण रूप की आराधना की है।

मीराबाई ने कृष्ण भगवान के सुंदर रूप को अपनाकर उनकी आराधना उपासना । वहश्री कृष्ण के रूप सौंदर्य पर मोहित है। वह श्री कृष्ण से मिलने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है वह उनके घर में बाग-बगीचे लगाने के लिए तैयार हैं। वह श्रीकृष्ण के घर में चाकरी करने तक के लिए तैयार है। ताकि रोज श्रीकृष्ण के सुंदर मनोहारी रूप का दर्शन कर सकें। इसके विपरीत महादेवी वर्मा ने निराकार ब्रह्मा को उपासना का आधार बनाया है।दोनों में समानता यह है कि दोनों अपने अपने आराध्य की अन्यतम भक्त हैं और अपने आराध्य को पाने के लिए किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार है। वह ऐसा कुछ भी करने के लिए तैयार हैं जो उनको उनके आराध्य तक पहुंचाने में मदद करें।

 

संदर्भ पाठ :

महादेवी वर्मा – मधुर-मधुर मेरे दीपक जल (कक्षा – 10 पाठ – 6, हिंदी, स्पर्श भाग-2)

 

इस पाठ के अन्य प्रश्न-उत्तर…

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए − जलते नभ में देख असंख्यक, स्नेहहीन नित कितने दीपक; जलमय सागर का उर जलता, विद्युत ले घिरता है बादल! विहँस विहँस मेरे दीपक जल! (क) ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है? (ख) सागर को ‘जलमय’ कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है? (ग) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है? (घ) कवयित्री दीपक को ‘विहँस विहँस’ जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

‘मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस, कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।

पूरे पाठ के सभी प्रश्न उत्तर…

मधुर मधुर मेरे दीपक जल : महादेवी वर्मा (कक्षा-10 पाठ-6 हिंदी स्पर्श 2)

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