नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए − जलते नभ में देख असंख्यक, स्नेहहीन नित कितने दीपक; जलमय सागर का उर जलता, विद्युत ले घिरता है बादल! विहँस विहँस मेरे दीपक जल! (क) ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है? (ख) सागर को ‘जलमय’ कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है? (ग) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है? (घ) कवयित्री दीपक को ‘विहँस विहँस’ जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

(क) ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर :  स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य कांतिहीन दीपक से है अर्थात बिना तेल का दीपक। कवयित्री कहती हैं कि ऐसा दीपक जिसमें स्नेह रूपी तेल नही है, जिसके अंदर प्रभु के प्रति भक्ति नहीं है। ऐसा दीपक स्नेहहीन दीपक है।  यह बात कवयित्री ने उस व्यक्ति के लिए कही है, जिसके मन में स्नेह, करुणा, दया, प्रभु-भक्ति  आदि भाव नहीं होते।

(ख) सागर को ‘जलमय’ कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?

उत्तर : सागर को जलमय कहने का अभिप्राय यह है कि यह लोग सांसारिक सुख-वैभव से तो भरपूर है परंतु सुख समृद्धि में भी यह लोग आपसी ईर्ष्या, द्वेष और घृणा के भाव के कारण जल रहे हैं। ऐसे व्यक्ति सांसारिक विषय-वासनाओं के कारण जल रहे हैं और उन्हीं के बीच में फंसे हुए हैं, इससे उनके अंदर आध्यात्मिक ज्योति नही जल नहीं पा रही और उनका हृदय तो केवल सांसारिक विकारों के कारण ही जल रहा है।

(ग) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?

उत्तर : बादलों की विशेषता कवयित्री ने ये बताई है, कि जिस तरह बादल अपने जल के द्वारा धरती को शीतल और हरा-भरा कर देते हैं और उनमें पैदा होने वाली बिजली पलभर के लिए चमक कर चारों तरफ प्रकाश फैला देती है, उसी तरह इस संसार में कुछ महा प्रतिभाशाली लोग कुछ समय के लिए अपने प्रतिभा का प्रकाश संसार में बिखेकर संसार को कुछ समय के लिए आलोकित कर देते हैं और फिर विलीन हो जाते हैं।

(घ) कवयित्री दीपक को ‘विहँस विहँस’ जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

उत्तर : कवयित्री ने विहँस-विहँस कर जलने की बात इसलिए है क्योंकि वह चाहती है की यह दीपक निरंतर चलता रहे और किसी भी तरह की विषम परिस्थिति क्यों ना हों यानी उसे किसी भी विषम परिस्थिति में बुझना नहीं है, बल्कि दूसरों को प्रकाश पहुँचा कर उसे राह दिखाना है।

 

संदर्भ पाठ :

महादेवी वर्मा – मधुर-मधुर मेरे दीपक जल (कक्षा – 10 पाठ – 6, हिंदी, स्पर्श भाग-2)

 

इस पाठ के अन्य प्रश्न-उत्तर…

‘मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस, कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।

पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?

पूरे पाठ के सभी प्रश्न उत्तर…

मधुर मधुर मेरे दीपक जल : महादेवी वर्मा (कक्षा-10 पाठ-6 हिंदी स्पर्श 2)

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