इन पंक्तियों में विश्व-शलभ से तात्पर्य पूरे संसार से है। विश्व-शलभ यानी पूरा संसार दीपक के साथ इसलिए जल जाना चाहता है, ताकि वह अपने अंदर के अहंकार, लोभ तथा विषय विकारों आदि को मिटा सके और ईश्वर में लीन हो जाए।
विश्वशलभ दीपक के साथ जलकर अपने अस्तित्व को मिटा देना चाहता है ताकि उसके अंदर ज्ञान का प्रकाश प्रज्जवलित हो और वह ईश्वर को पा सके। कवियत्री कहती है कि जिस तरह पतंगा दीपक की लौ के प्रति समर्पित होकर उसकी आग में जलकर अपने जीवन को मिटा देता है। उसी प्रकार यह सारा संसार भी प्रभु की भक्ति में लीन होकर अपने अंदर के अहंकार, क्रोध, लोभ, मोह-माया आदि आदि को मिटा देता है ताकि उसके अंदर ज्ञान का प्रकाश जले और वह अपने प्रियतम ईश्वर को पा सके।
सरल शब्दों में कहें तो संसार के लोग अपने अंदर के अहंकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश प्रज्जवलित करके ईश्वर को पाना चाहते हैं, इसीलिए विश्व-शलभ दीपक के साथ जल जाता है।
संदर्भ पाठ :
महादेवी वर्मा – मधुर-मधुर मेरे दीपक जल (कक्षा – 10 पाठ – 6, हिंदी, स्पर्श भाग-2)
इस पाठ के अन्य प्रश्न-उत्तर…
दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?
प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?
पूरे पाठ के सभी प्रश्न उत्तर…
मधुर मधुर मेरे दीपक जल : महादेवी वर्मा (कक्षा-10 पाठ-6 हिंदी स्पर्श 2)