‘सहस्र दृग सुमन’ से कवि का तात्पर्य है कि हजारों पुष्प की आँखें। कवि ने इस पद का प्रयोग उन अंसख्य फूलों के लिए किया है, जो पर्वत पर चारों तरफ फैले हुए हैं।
पावस ऋतु में पर्वत पर असंख्य फूल खिल जाते हैं और वह वे असंख्य फूल ऐसे दिखाई देते हैं, जैसे पर्वत की हजारों आँखे हों। पर्वत उन आँखों से तालाब में अपना प्रतिबिंद को देखकर अपने अनुपम सौंदर्य को निहार रहा हो।
इसीलिए कवि ने दृग सुमन का प्रयोग पर्वत पर खिले फूल के लिए किया है और और उन्हें पर्वत की आँखों की उपमा दी है।
पाठ के बारे में…
इस पाठ में सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता पर ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ को प्रस्तुत किया गया है।
सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के सुकुमार कवि कहे जाते हैं। उन्होंने प्रकृति के सुंदर मनोरम दृश्यों का जितनी सुंदरता से वर्णन किया है, वैसा और किसी कवि ने नही किया।
इस कविता में कवि ने ऐसे ही रोमांच और प्रकृति के सौंदर्य को अपनी आँखों से निरखने की अनुभूति को प्रकट किया है।
सुमित्रानंदन पंत जो हिंदी साहित्य के छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं, वह प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। उनका जन्म 20 मई को उत्तराखंड के कौसानी में हुआ था, जो कि अल्मोड़ा जिले में स्थित है। बचपन से उन्हें कविता में गहन रुचि थी और मात्र 7 वर्ष की आयु में ही कविता पाठ और सृजन आरंभ कर दिया था। उनकी अधिकतर कविता में प्रकृति-प्रेम और रहस्यवाद की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। इसी कारण प्रकृति के सुकुमार कवि कहे गए हैं। उनका निधन 1977 में हुआ था।
संदर्भ पाठ :
सुमित्रानंदन पंत, ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ (कक्षा -10, पाठ – 5, हिंदी, स्पर्श, भाग -2)
इस पाठ के अन्य प्रश्न
कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?
पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
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पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2)
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