‘मेखलाकार’ शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?

मेखलाकार शब्द का अर्थ है मेखला अर्थात करधनी नाम का एक आभूषण, जो स्त्रियों द्वारा कमर में पहना जाता है। मेखलाकार मेखला और आकार इन दो शब्दों से मिलकर बना है। मेखला मतलब करधनी जो स्त्रियों का आभूषण होता है, जिसे वह कमर में पहनती हैं।
कवि ने प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहा है कि पर्वतों का ढलान देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे प्रकृति ने मेखला आभूषण से आवृत कर रखा हो।
कविता यहां पर कहने का तात्पर्य यह है कि विशाल पहाड़ जो पृथ्वी को चारों तरफ से घेरे हुए हैं, वे पर्वत चारों तरफ गोल-गोल आकृति में फैले हुए हैं, जो करधनी का आभास देते हैं। इसीलिए कवि ने मेखलाकार शब्द का प्रयोग किया है।
पाठ के बारे में…
इस पाठ में सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता पर ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ को प्रस्तुत किया गया है।
सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के सुकुमार कवि कहे जाते हैं। उन्होंने प्रकृति के सुंदर मनोरम दृश्यों का जितनी सुंदरता से वर्णन किया है, वैसा और किसी कवि ने नही किया।
इस कविता में कवि ने ऐसे ही रोमांच और प्रकृति के सौंदर्य को अपनी आँखों से निरखने की अनुभूति को प्रकट किया है।
सुमित्रानंदन पंत जो हिंदी साहित्य के छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं, वह प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। उनका जन्म 20 मई को उत्तराखंड के कौसानी में हुआ था, जो कि अल्मोड़ा जिले में स्थित है। बचपन से उन्हें कविता में गहन रुचि थी और मात्र 7 वर्ष की आयु में ही कविता पाठ और सृजन आरंभ कर दिया था। उनकी अधिकतर कविता में प्रकृति-प्रेम और रहस्यवाद की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। इसी कारण प्रकृति के सुकुमार कवि कहे गए हैं। उनका निधन 1977 में हुआ था।
संदर्भ पाठ :
सुमित्रानंदन पंत, ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ (कक्षा -10, पाठ – 5, हिंदी, स्पर्श, भाग -2)

इस पाठ के अन्य प्रश्न

पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

सहस्र दृग-सुमन’ से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?

 

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पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2)

 

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