‘हाथ पाँव तुड़वा आयेगी और कुछ ना होगा।’ जोखू के इस कथन से तात्पर्य यह है कि उसकी पत्नी गंगी यदि ठाकुर के कुएँ पर पानी लेने गई तो ठाकुर उसे लाठी से मारेंगे और इस तरह उसे उसके हाथ पैर टूट सकते हैं, उसे चोट लग सकती है। जोखू जानता था कि उसकी छोटी तथाकथित छोटी जाति के कारण तथाकथित ऊंची जाति वाले ठाकुर उसे अपने कुएँ से पानी नहीं भरने देंगे।
चूँकि जोखू और उसकी पत्नी गंगी गरीब हैं, छोटी जाति के हैं, इसलिए ऊँची जाति वाले अमीर लोग गरीबों के दर्द को नहीं समझते। गरीब लोग मर भी जाए तो भी उनके दरवाजे पर नहीं आएंगे। कंधा देने या कुएं से पानी भरने की बात तो बहुत दूर है। इसीलिए उसने अपनी पत्नी गंगी को ठाकुर के कुएँ से पानी लाने के लिए मना किया था।
नोट :
प्रेमचंद द्वारा लिखी गई ‘ठाकुर का कुआँ’ नामक कहानी जातिगत व्यवस्था और अमीरी गरीबी के बीच बड़े अंतर पर प्रकाश डालती है।
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