- कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं का अनुभव साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्वपूर्ण होता है। यह बाहर दबाव अनेक तरह के हो सकते हैं जो कि इस प्रकार हैं।
- कोई रचनाकार केवल आर्थिक लाभ की आकांक्षा के कारण ही रचना करता है, उसका प्रथम और
- एकमात्र उद्देश्य लेखन कार्य के माध्यम से आर्थिक लाभ कमाना होता है।
- कोई रचनाकार सामाजिक परिस्थितियों से प्रेरित होकर रचना कार्य करता है।
- समाज में घट रही घटनाएं उसे कुछ ना कुछ लिखने के लिए विवश कर देती हैं।
- कोई रचनाकार अपने संस्थान आदि में अपने संपादक, प्रकाशन अथवा अपने ऊपरी अधिकारी के
- आग्रह पर रचना करता है। इसमें उसका कर्तव्य भाव होता है क्योंकि उसे अपने संस्थान के लिए कुछ ना कुछ प्रदान करना है।
- कोई रचनाकार किसी व्यक्ति विशेष अथवा वस्तु विशेष पर के पक्ष में रचना करने के लिए दबाव के तहत कार्य करता है इसमें या तो उसकी सहमति हो सकती है अथवा विवशता हो सकती है, जिस कारण वो किसी एक विशेष पक्ष से संबंधित रचना करता है।
पाठ के बारे में…
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ ‘अज्ञेय’ द्वारा लिखा गया पाठ है, जिसके माध्यम से उन्होंने अपने लेखन अनुभव के बारे में वर्णन किया है। लेखक ने यह बताने की चेष्टा की है की वह लेखन कार्य क्यों करते हैं। उनके लेखन कार्य के क्या कारण है और लिखने से उन्हें कैसी अनुभूति होती है। कौन सी बातें हैं जो लेखक को लिखने के लिए प्रेरित करती हैं।
‘अज्ञेय’ जिनका पूरा नाम ‘सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय’ था। वह हिंदी साहित्य के जाने-माने लेखक रहे हैं। उनका जन्म 1911 में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले कुशीनगर में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा जम्मू-कश्मीर और लाहौर में हुई थी। उन्होंने भारत के स्वाधीनता संग्राम में भी भाग लिया और इस कारण जेल भी गए। एक प्रसिद्ध साहित्यकार होने के साथ-साथ पत्रकार भी थे।
उनकी प्रमुख रचनाओं में चिंता, भग्नदूत, अरी ओ करुणा प्रभामय, इंद्रधनुष रौंदे हुए ये, आँगन के पार द्वार (काव्य संग्रह) शेखर : एक जीवनी, नदी के द्वीप (उपन्यास) अरे यायावर रहेगा याद (यात्रा वृतांत) आदि। उनका निधन 1987 में हुआ था।
संदर्भ पाठ :
“मैं क्यों लिखता हूँ?” अज्ञेय, (कक्षा – 10, पाठ – 4, हिंदी, कृतिका)
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