“मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है, परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?


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टुन्नू एवं दुलारी में आयु का अंतराल था, जहां टुन्नू 17 वर्ष का एक युवक था, वहीं दुलारी एक परिपक्व वयस्क स्त्री थी। फिर भी टुन्नू दुलारी से प्रेम करता था और दुलारी भी दोनों के प्रेम को समझती थी। उम्र में दुलारी का टुन्नू से उम्र में बहुत छोटा होने के कारण टुन्नू उसके प्रेम को किशोर उम्र की नादानी के अलावा कुछ नहीं समझती थी। इसलिए वो टुन्नू को दुत्कारती रहती थी, लेकिन टुन्नू द्वारा कहे गए इस कथन ने दुलारी के मन में अलग ही भाव उत्पन्न कर दिए थे। वह समझने लगी थी कि टुन्नू का प्रेम उसके प्रति शारीरिक ना होकर उसके कला के प्रति और आत्मिक प्रेम था, इसीलिए वह भी अप्रत्यक्ष रूप से टुन्नू को मन ही मन चाहने लगी थी।
दोनों की स्थितियों में विषमता होने के कारण वह व्यवहारिक रूप से अपने इस प्रेम को टुन्नू के समक्ष प्रकट नहीं करती थी। जब टुन्नू की मृत्यु हुई तो उसकी मृत्यु के समाचार ने दुलारी के सब्र का बांध तोड़ दिया और उसने उसके अंदर दबा हुआ प्रेम बाहर निकल कर फूट पड़ा। वह टुन्नू की मृत्यु का समाचार आकर रो उठी और उसने टुन्नू के द्वारा पहले कभी दी गई साड़ी पहन कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उसने अंग्रेजी समारोह में भाग लेकर गायन के माध्यम से अपना विरोध भी प्रकट किया। उसने अपने विवेक से टुन्नू के प्रति अपने प्रेम को देश प्रेम की ओर मोड़ लिया।

पाठ के बारे में…

‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’  यह पाठ ‘शिवप्रसाद मिश्र रूद्र’ द्वारा लिखा गया है। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने भारत की स्वाधीनता संग्राम के समय समाज के ऐसे वर्ग के योगदान को उकेरा है, जो समाज में हीन व उपेक्षित वर्ग के रूप में जाना जाता था। भारत की स्वाधीनता की लड़ाई में समाज के हर धर्म और वर्ग के लोगों ने भाग लिया था। लेखक ने इस पाठ में समाज के ऐसे ही एक उपेक्षित वर्ग के लोगों के योगदान को बताया है।
शिवप्रसाद मिश्र रूद्र हिंदी साहित्य लेखक थे, जिनका जन्म 1911 में काशी में हुआ था। उन्होंने हरिशचंद्र कॉलेज, क्वीन्स कॉलेज और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उनका प्रमुख रचनाओं में बहती गंगा, सुचिताच (उपन्यास) ताल तलैया, गज़लिका, परीक्षा पच्चीसी (काव्य व गीत संग्रह) आदि के नाम प्रमुख हैं।

संदर्भ पाठ :

“एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’”, लेखक – शिवप्रसाद मिश्र ‘रूद्र’ (कक्षा – 10, पाठ – 4, हिंदी, कृतिका)

 

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?

भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

 

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