दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है, फिर भी वह अति विशिष्ट है, इस कथन के आधार पर दुलारी की चारित्रिक विशेषताएं इस प्रकार होंगी :
दुलारी एक प्रतिभाशाली और मधुर गायिका है, जिसकी आवाज में मधुरता और लय का सुंदर संयोजन था। उसे पद्य आधारित सवाल जवाब करने में महारत हासिल थी। उसके सामने कोई भी अच्छा गायक ठहर नहीं पाता था।
दुलारी एक समर्पित प्रेमिका भी थी। वह टुन्नू से मन ही मन प्रेम करती थी। टुन्नू भी उस से प्रेम करता था, लेकिन उसने प्रत्यक्ष रूप से टुन्नू के प्रेम को कभी स्वीकारा नहीं, लेकिन मन ही मन अप्रत्यक्ष रूप से वह टुन्नू से प्रेम करती थी और उसकी मृत्यु के बाद दुलारी का प्रेम फूट कर बाहर आ गया।
दुलारी एक सहृदया नारी भी थी। वह दिल से बेहद कोमल थी। टुन्नू की मृत्यु का समाचार पाकर उसकी आँखों से आँसुओं की धार बह निकली। वह बाहर से दिखने में भले ही कठोर थी लेकिन अंदर से उसका दिन बेहद नरम था।
दुलारी एक निडर थी। अकेली स्त्री होने के कारण उसने अपने आपको एक निडर स्त्री के रूप में विकसित कर लिया था। इसीलिए उसने बिना डरे आंदोलन में रेशमी साड़ी जुलूस में फेंक दी और टुन्नू की मृत्यु के बाद हुए अंग्रेज विरोधी समारोह में भाग लेकर अपने गायन भी पेश किया।
दुलारी अपने देश के प्रति श्रद्धा का भाव रखती थी, इसीलिए उसने आंदोलन में भाग लेकर अपने रेशमी वस्त्र आंदोलन में आग को समर्पित कर दिये और आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
दुलारी एक स्वाभिमानी स्त्री भी थी। अपने सम्मान के लिए उसने कोई समझौता नहीं किया। ना ही उसे गायन में कोई हरा सका। वह एक अबला नारी नहीं बल्कि सबला नारी थी।
पाठ के बारे में…
‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ यह पाठ ‘शिवप्रसाद मिश्र रूद्र’ द्वारा लिखा गया है। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने भारत की स्वाधीनता संग्राम के समय समाज के ऐसे वर्ग के योगदान को उकेरा है, जो समाज में हीन व उपेक्षित वर्ग के रूप में जाना जाता था। भारत की स्वाधीनता की लड़ाई में समाज के हर धर्म और वर्ग के लोगों ने भाग लिया था। लेखक ने इस पाठ में समाज के ऐसे ही एक उपेक्षित वर्ग के लोगों के योगदान को बताया है।
शिवप्रसाद मिश्र रूद्र हिंदी साहित्य लेखक थे, जिनका जन्म 1911 में काशी में हुआ था। उन्होंने हरिशचंद्र कॉलेज, क्वीन्स कॉलेज और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उनका प्रमुख रचनाओं में बहती गंगा, सुचिताच (उपन्यास) ताल तलैया, गज़लिका, परीक्षा पच्चीसी (काव्य व गीत संग्रह) आदि के नाम प्रमुख हैं।
संदर्भ पाठ :
“एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’”, लेखक – शिवप्रसाद मिश्र ‘रूद्र’ (कक्षा – 10, पाठ – 4, हिंदी, कृतिका)
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कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
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