हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित से माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है, इस पाठ में लेखक ने टुन्नू और दुलारी जैसे पात्रों के माध्यम से इसी बात को बताने की चेष्टा की है। हमारे समाज में कुछ वर्ग ऐसे हैं जिन्हें बेहद दीन-हीन माना जाता है और उनकी निरंतर उपेक्षा की जाती है। टुन्नू और दुलारी ऐसे वर्ग का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। इन लोगो का कार्य नाच-गाकर लोगों को मनोरंजन करना था। इन लोगों का कार्य ऐसा था, इसका आनंद तो लोग लेते थे, लेकिन ऐसा काम करने वालों को एक हिकारर की दृष्टि से देखते थे।
टुन्नू और दुलारी बहुत ही साधारण और उपेक्षित वर्ग से संबंध रखते थे, लेकिन उन्होंने अपना योगदान अपनी सामर्थ्य से बढ़कर बढ़-चढ़कर दिया। दुलारी ने जब अपनी नयी रेशमी साड़ी को आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया तो देश के प्रति उसकी भावना को प्रकट कर रहा था, क्योंकि बाकी लोग तो अपने फटे पुराने वस्त्र ही आंदोलन को समर्पित कर रहे थे, जबकि दुलारी ने अपने नये वस्त्रों को आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया जो उसे बड़े जतन से प्राप्त हुए थे।
टून्नू ने जब आजादी की लड़ाई के लिए निकाले गए जुलूस में अपने प्राणों की आहुति दी तो उससे यह सिद्ध होता था कि वह केवल नाचने गाने के लिए ही पैदा नहीं हुआ था। उसका मन में देश के लिए कुछ करने का भी जज़्बा था।
लेखक ने आजादी की लड़ाई में दोनों योगदान को बहुत कुशलता से बताया है।
पाठ के बारे में…
‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ यह पाठ ‘शिवप्रसाद मिश्र रूद्र’ द्वारा लिखा गया है। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने भारत की स्वाधीनता संग्राम के समय समाज के ऐसे वर्ग के योगदान को उकेरा है, जो समाज में हीन व उपेक्षित वर्ग के रूप में जाना जाता था। भारत की स्वाधीनता की लड़ाई में समाज के हर धर्म और वर्ग के लोगों ने भाग लिया था। लेखक ने इस पाठ में समाज के ऐसे ही एक उपेक्षित वर्ग के लोगों के योगदान को बताया है।
शिवप्रसाद मिश्र रूद्र हिंदी साहित्य लेखक थे, जिनका जन्म 1911 में काशी में हुआ था। उन्होंने हरिशचंद्र कॉलेज, क्वीन्स कॉलेज और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उनका प्रमुख रचनाओं में बहती गंगा, सुचिताच (उपन्यास) ताल तलैया, गज़लिका, परीक्षा पच्चीसी (काव्य व गीत संग्रह) आदि के नाम प्रमुख हैं।
संदर्भ पाठ :
“एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’”, लेखक – शिवप्रसाद मिश्र ‘रूद्र’ (कक्षा – 10, पाठ – 4, हिंदी, कृतिका)
इस पाठ के दूसरे प्रश्न
कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?