पुलिस से की गई जनता की सेवा’ इस वाक्य पर विचार :
सामान्यतः भारत में माना जाता है कि पुलिस महकमा बड़ा ही क्रूर है, भ्रष्टाचारी, रिश्वत खोर लोग पुलिस में भरे पड़े हैं, वह आम जनता की मदद नहीं करते बल्कि बड़े लोगों के तलवे चाटते हैं या फिर जो उनकी जेब गरम करें उनके वफादार रहते हैं |
लेकिन इसके विपरीत जब कोरोना नामक वैश्विक महामारी ने देश को अपनी चपेट में ले लिया उस समय पुलिस का एक मानवीय चेहरा सब के सामने आया था जिसमें मानवीय संवेदनाएं हैं , चाहे वह भूखों को रोटी खिलाना हो या लावारिस लाशों का दाह संस्कार करना हो या कोविड-19 के मरीजों को अपनी गाड़ी से अस्पताल पहुंचाना हो ।
कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान पुलिस द्वारा एक रक्षक , सेवादार एवं मददगार के रूप में निभाई गई निस्वार्थ भूमिका को भारतवर्ष के नागरिक वर्षों तक याद रखेंगे । इस कोरोना महामारी के दौरान पुलिस वालों ने वह कर दिखाया जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते ।
इंदौर हो, पटियाला हो, राजस्थान या मुर्दाबाद हो, जिस तरह से पुलिस कर्मियों को कुछ खास इलाकों में जाहिल लोगों के गुस्से का सामना करते हुए अपना फर्ज निभाया है जो काबिल तारीफ है । उन पर कई बार पथराव भी किया गया और एक जगह तो आम जनता ने पुलिस कर्मचारी का हाथ ही काट डाला।
जहाँ ये पुलिस कर्मी न सिर्फ सड़कों पर तैनात होकर दिन – रात चौकसी से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं वहीं जरूरतमंदों को राशन व अन्य जरूरी सामान भी पहुंचा रहे हैं । हमें सोचना चाहिए कि चाहे वे महिला पुलिस कर्मी हों या पुरुष इनका योगदान हमारे जीवन की रक्षा के लिए अतुल्य है ।
महिला पुलिस कर्मी अपने – अपने थानों में रहकर न सिर्फ अपनी सामान्य ड्यूटी कर रही हैं बल्कि जरूरतमंदों के लिए फेस मास्क भी सिल रही हैं । कुछ शहरों से तो यह भी खबर आई है कि पुलिस कर्मी बेजुबान जानवरों को भी भोजन दे रहे हैं ।
महीला पुलिस कर्मियों का योगदान भी सराहनीय है | एक जगह तो एक महिला पुलिस कर्मी नें तो अपने 2-3 महीने की बच्ची को भी अपने साथ ठाने में ही रखा और अपनी ड्यूटी भी करती रही | पुलिस कर्मी चाहे वह पुरुष थे या महिला सब रात – दिन अपनी ड्यूटी दे रहे थे और महीनों तक अपने
परिवार से मिल भी नहीं पाए | आपदा काल में पुलिस ने अपने कार्यों से लोगों के मन में विश्वास की नींव डाली है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन योद्धाओं के कार्यों की सराहना की है और इनके सम्मान में देशवासियों से अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने की बात कही है ।
अत्यधिक संक्रामक महामारी के बीच पुलिस कर्मियों द्वारा खुद को सुरक्षित रखना धीरे – धीरे मुश्किल होता जा रहा है | बहुत से पुलिस कर्मियों को अपनी जान की आहुति देनी पड़ी | पुलिस कर्मचारियों द्वारा की गई इस सेवा के लिए उनका और उनके परिवार जनों का बहुत– बहुत आभार |
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