जॉर्ज पंचम’ की नाक लगने वाले खबर के दिन सारे अखबार इसलिए चुप थे क्योंकि केवल ब्रिटिश सरकार रानी एलिजाबेथ को दिखाने के लिए जॉर्ज पंचम की पत्थर की लाट पर किसी जिंदा भारतीय की नाक काट कर लगा दी गई थी।
यह एक बेहद ही असम्मानजनक कार्य था। भारतीय हुक्मरानों द्वारा किया गया यह काम किसी को भी पसंद नहीं आया। इससे सभी भारतीयों की नाक यानी प्रतिष्ठा धूमिल हुई। इसी के विरोध में सारे अखबार उस दिन चुप रहे और किसी ने इससे संबंधित कोई खबर नहीं चाहती।
अगर ऐसी कोई खबर छाप देते तो पूरी दुनिया को पता चल जाता कि भारतीय हुक्मरान अभी भी गुलामी की मानसिकता में हैं। अभी भी बच्चों के सामने जी हुजूरी करते नजर आते हैं।
पाठ के बारे में…
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ ‘कमलेश्वर’ द्वारा लिखा गया एक व्यंग्यात्मक लेख है, जिसमें उन्होंने आजादी के बाद भारतीय नेताओं और नौकरशाही की उस गुलाम मानसिकता पर व्यंग्य किया है, जिससे वह आजादी के बाद भी बाहर नही निकल नहीं पाए हैं। वे इंग्लैंड की महारानी के भारत आगमन पर ऐसा आचरण करते हैं कि जैसे वह इंग्लैंड की महारानी नहीं भारत की हो।
आजादी से पहले इंग्लैंड की महारानी भले ही भारत की भी महारानी कहलाती थी, लेकिन भारत की आजादी के बाद वह भारत से उसका कोई संबंध नहीं रहा, लेकिन कुछ भारतीय नौकरशाह अभी भी उसी गुलामी की मानसिकता में जी रहे थे और इंग्लैंड की महारानी को आज भी भारत की महारानी समझते थे। लेखक ने ने इसी पर व्यंग कसा है।कमलेश्वर हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक रहे हैं, जो अपनी प्रासंगिक कहानी एवं उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक कहानियां, उपन्यास, स्तंभ लेखन तथा फिल्मी पटकथायें लिखी थीं। वह एक जाने-माने पत्रकार भी रहे।
उनका जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। कमलेश्वर द्वारा लिखें गया उपन्यासों में ‘कितने पाकिस्तान’ बेहद प्रसिद्ध रहा। उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानियां आदि लिखे तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक का भी कार्य किया। 27 जनवरी 2007 को उनका निधन हो गया।
संदर्भ पाठ :
जॉर्ज पंचम की नाक, कमलेश्वर, (कक्षा – 10, पाठ – 2, हिंदी, कृतिका भाग 2)
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :
“नई दिल्ली में सब था… सिर्फ़ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?
हमारी सहयोगी वेबसाइटें..