नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।


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नाक मान सम्मान वह प्रतिष्ठा का द्योतक है, यह बात पूरी व्यंग्य रचना में इस तरह उभर कर सामने आई है कि पूरी व्यंग्य रचना ही इसी बात पर केंद्रित है। एक ब्रिटिश शासक की पत्थर की नाक टूट जाने पर ब्रिटिश औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त भारतीय हुक्मरानों में जैसा हड़कंप मच गया, वह ही इस बात को स्पष्ट करता है उन्होंने जॉर्ज पंचम की पत्थर की लाट की नाक अपने मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक बना लिया था।
उनके अनुसार पत्थर की टूटी नाक देखकर रानी एलिजाबेथ, जो कि भारतीय दौरे पर आ रही थी, उनके सामने सभी की नाक कट जाएगी। यानि मान-सम्मान प्रतिष्ठा खराब हो जायेगी।
भारतीय समाज में नाक को मान सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक बनाया गया है, इसीलिए नाक से संबंधित अनेक मुहावरे प्रचलित हैं। जिनका अर्थ भी मान सम्मान व प्रतिष्ठा से ही जुड़ा हुआ है। जैसे नाक कटना, नाक रखना, नाक रगड़ना, नाक का सवाल आदि। इस तरह ना मान सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है और कहानी में भी नाक को ही इस बात का प्रतीक बनाया गया है।

पाठ के बारे में…

‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ ‘कमलेश्वर’ द्वारा लिखा गया एक व्यंग्यात्मक लेख है, जिसमें उन्होंने आजादी के बाद भारतीय नेताओं और नौकरशाही की उस गुलाम मानसिकता पर व्यंग्य किया है, जिससे वह आजादी के बाद भी बाहर नही निकल नहीं पाए हैं। वे इंग्लैंड की महारानी के भारत आगमन पर ऐसा आचरण करते हैं कि जैसे वह इंग्लैंड की महारानी नहीं भारत की हो।
आजादी से पहले इंग्लैंड की महारानी भले ही भारत की भी महारानी कहलाती थी, लेकिन भारत की आजादी के बाद वह भारत से उसका कोई संबंध नहीं रहा, लेकिन  कुछ भारतीय नौकरशाह अभी भी उसी गुलामी की मानसिकता में जी रहे थे और इंग्लैंड की महारानी को आज भी भारत की महारानी समझते थे। लेखक ने ने इसी पर व्यंग कसा है।कमलेश्वर हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक रहे हैं, जो अपनी प्रासंगिक कहानी एवं उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक कहानियां, उपन्यास, स्तंभ लेखन तथा फिल्मी पटकथायें लिखी थीं। वह एक जाने-माने पत्रकार भी रहे।
उनका जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। कमलेश्वर द्वारा लिखें गया उपन्यासों में ‘कितने पाकिस्तान’ बेहद प्रसिद्ध रहा। उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानियां आदि लिखे तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक का भी कार्य किया। 27 जनवरी 2007 को उनका निधन हो गया।

संदर्भ पाठ :

जॉर्ज पंचम की नाक, कमलेश्वर, (कक्षा – 10, पाठ – 2, हिंदी, कृतिका भाग 2)

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाईलें सब कुछ हज़म कर चुकी हैं।’ ‘सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ़ ताका।’ पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।

आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है − (क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं? (ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

 

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