आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है −
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?
इस तरह की पत्रकारिता के विषय में हमारे विचार यह है कि इस तरह की पत्रकारिता ना ही हमारी भारतीय संस्कृति के अनुकूल है और ना ही यह पत्रकारिता की मर्यादा के अनुकूल है। भारतीय संस्कृति में किसी के निजी जीवन में ताक झांक करना बिल्कुल भी उचित नहीं माना जाता है। पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, उसका मुख्य कार्य जनता के हितों और मुद्दों को उठाना है। जनकल्याण से संबंधित कार्य करना है। सनसनीखेज बातों को उठाना तथा उन्हें महिमामंडित करना पत्रकारिता का असली कार्य नहीं।
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?
इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव जाती है, क्योंकि चर्चित हस्तियों के पहनावे और खानपान संबंधी आदतें आदि को पत्रकारों एवं मीडिया संस्थानों द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर महिमामंडित करने से युवा पीढ़ी भी उनकी नकल करने की कोशिश करती है। इस तरह वह अपने जीवन के असली उद्देश्य को भूल जाते हैं और इन्हीं चर्चित हस्तियों के जीवन शैली की नकल करने लगते हैं। जिससे उनके अंदर संस्कारविहीनता पनपती है और अनेक तरह की गलत आदतें विकसित हो सकती है।
ऐसा देखा गया है कि चर्चित हस्तियों द्वारा सिगरेट, शराब, गुटखा आदि का प्रयोग किए जाने पर युवा पीढ़ी भी उनकी नकल करके ऐसी गंदी आदतों को अपना लेती है। इससे युवा पीढ़ी अपने मार्ग से भटक जाती है जो देश के हित में नहीं है।
पाठ के बारे में…
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ ‘कमलेश्वर’ द्वारा लिखा गया एक व्यंग्यात्मक लेख है, जिसमें उन्होंने आजादी के बाद भारतीय नेताओं और नौकरशाही की उस गुलाम मानसिकता पर व्यंग्य किया है, जिससे वह आजादी के बाद भी बाहर नही निकल नहीं पाए हैं। वे इंग्लैंड की महारानी के भारत आगमन पर ऐसा आचरण करते हैं कि जैसे वह इंग्लैंड की महारानी नहीं भारत की हो।
आजादी से पहले इंग्लैंड की महारानी भले ही भारत की भी महारानी कहलाती थी, लेकिन भारत की आजादी के बाद वह भारत से उसका कोई संबंध नहीं रहा, लेकिन कुछ भारतीय नौकरशाह अभी भी उसी गुलामी की मानसिकता में जी रहे थे और इंग्लैंड की महारानी को आज भी भारत की महारानी समझते थे। लेखक ने ने इसी पर व्यंग कसा है।कमलेश्वर हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक रहे हैं, जो अपनी प्रासंगिक कहानी एवं उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक कहानियां, उपन्यास, स्तंभ लेखन तथा फिल्मी पटकथायें लिखी थीं। वह एक जाने-माने पत्रकार भी रहे।
उनका जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। कमलेश्वर द्वारा लिखें गया उपन्यासों में ‘कितने पाकिस्तान’ बेहद प्रसिद्ध रहा। उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानियां आदि लिखे तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक का भी कार्य किया। 27 जनवरी 2007 को उनका निधन हो गया।
संदर्भ पाठ :
जॉर्ज पंचम की नाक, कमलेश्वर, (कक्षा – 10, पाठ – 2, हिंदी, कृतिका भाग 2)
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?
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