जॉर्ज पंचम की नाक की नाक को लगाने के लिए मूर्तिकार ने अनेक तरह के प्रयत्न किए थे, जो कि इस प्रकार हैं…
- मूर्तिकार ने सबसे पहले नाक के लिए सही पत्थर का पता लगाने के लिए व्यक्तिगत रूप से नाक लगाने की जिम्मेदारी ली और पूरे देश के पहाड़ों और पत्थरों की खानों का दौरा किया था ताकि नाक के लिए उपयुक्त पत्थर मिल सके।
- मूर्तिकार ने देश में लगे हर छोटे-बड़े नेता की मूर्तियों की नाक से जॉर्ज पंचम की नाक की मिलान किया था कि उसे जॉर्ज पंचम की नाक के समान नाक मिल जाए और उस मूर्ति से नाक निकालकर जॉर्ज पंचम की नाक पर लगाई जा सके। लेकिन ऐसा ना हो सका क्योंकि सभी मूर्तियों की नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली।
- सारे तरह के प्रयास करके भी जब मूर्तिकार को उपयुक्त नाक नहीं मिली तब उसने जिंदा इंसान की नाक लगाने का ही परामर्श दे दिया और उसके परामर्श पर अमल करने का प्रयास भी किया गया था।
पाठ के बारे में…
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ ‘कमलेश्वर’ द्वारा लिखा गया एक व्यंग्यात्मक लेख है, जिसमें उन्होंने आजादी के बाद भारतीय नेताओं और नौकरशाही की उस गुलाम मानसिकता पर व्यंग्य किया है, जिससे वह आजादी के बाद भी बाहर नही निकल नहीं पाए हैं। वे इंग्लैंड की महारानी के भारत आगमन पर ऐसा आचरण करते हैं कि जैसे वह इंग्लैंड की महारानी नहीं भारत की हो।
आजादी से पहले इंग्लैंड की महारानी भले ही भारत की भी महारानी कहलाती थी, लेकिन भारत की आजादी के बाद वह भारत से उसका कोई संबंध नहीं रहा, लेकिन कुछ भारतीय नौकरशाह अभी भी उसी गुलामी की मानसिकता में जी रहे थे और इंग्लैंड की महारानी को आज भी भारत की महारानी समझते थे। लेखक ने ने इसी पर व्यंग कसा है।कमलेश्वर हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक रहे हैं, जो अपनी प्रासंगिक कहानी एवं उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक कहानियां, उपन्यास, स्तंभ लेखन तथा फिल्मी पटकथायें लिखी थीं। वह एक जाने-माने पत्रकार भी रहे।
उनका जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। कमलेश्वर द्वारा लिखें गया उपन्यासों में ‘कितने पाकिस्तान’ बेहद प्रसिद्ध रहा। उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानियां आदि लिखे तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक का भी कार्य किया। 27 जनवरी 2007 को उनका निधन हो गया।
आजादी से पहले इंग्लैंड की महारानी भले ही भारत की भी महारानी कहलाती थी, लेकिन भारत की आजादी के बाद वह भारत से उसका कोई संबंध नहीं रहा, लेकिन कुछ भारतीय नौकरशाह अभी भी उसी गुलामी की मानसिकता में जी रहे थे और इंग्लैंड की महारानी को आज भी भारत की महारानी समझते थे। लेखक ने ने इसी पर व्यंग कसा है।कमलेश्वर हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक रहे हैं, जो अपनी प्रासंगिक कहानी एवं उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक कहानियां, उपन्यास, स्तंभ लेखन तथा फिल्मी पटकथायें लिखी थीं। वह एक जाने-माने पत्रकार भी रहे।
उनका जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। कमलेश्वर द्वारा लिखें गया उपन्यासों में ‘कितने पाकिस्तान’ बेहद प्रसिद्ध रहा। उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानियां आदि लिखे तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक का भी कार्य किया। 27 जनवरी 2007 को उनका निधन हो गया।
संदर्भ पाठ :
जॉर्ज पंचम की नाक, कमलेश्वर, (कक्षा – 10, पाठ – 2, हिंदी, कृतिका भाग 2)
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